मुझसे अपनी गांड टकराती रहो

   02/06/2019 

Antarvasna, hindi sex kahani:

Mujhse apni gaand takrati raho हर दिन की तरह सुबह मैं अपने ऑफिस समय पर निकल कर चुका था कुछ दिनों पहले ही मैंने अपना नया ऑफिस ज्वाइन किया और जब मैं ऑफिस के लिए निकला तो मैंने बस स्टॉप से बस ली और मैं सीट पर बैठा। कंडक्टर मेरे पास आकर बोला भैया टिकट, मैंने उसे पैसे दिए और मैं अपने मोबाइल को टटोल रहा था तभी बस अगले स्टॉप पर रुकी। जब बस अगले स्टॉप पर रुकी तो मैंने देखा कि उसमें हमारे ऑफिस में ही काम करने वाली महिमा चढ़ी और इत्तेफाक से मेरे बगल की सीट भी उस वक्त खाली हो गई तो महिमा जी मेरे बगल में आकर बैठ गई। हम लोगों की आपस में इतनी बातचीत नहीं थी लेकिन जब वह मेरे पास आकर बैठी तो उन्होंने मुझसे कहा संतोष जी आपका घर कहां पर है।

मैंने उन्हें अपना घर बताया और हम दोनों एक दूसरे से बात करने लगे मुझे महिमा जी के बारे में ज्यादा तो मालूम नहीं था लेकिन उस दिन मुझे उन्हें जानने का मौका मिला और उन्होंने मुझे अपनी दुख भरी कहानी सुनाई। वह मुझे कहने लगे कि कैसे उनके मम्मी पापा ने मेहनत कर के उन्हें पढ़ाया और उसके बाद बड़ी मुश्किल से उनकी शादी एक अच्छे घराने में हो पाई लेकिन महिमा जी की शादी ज्यादा समय तक नहीं चल पाई। महिमा जी दुखी होकर मुझे कहने लगी कि लगता है मेरी किस्मत ठीक नहीं है बचपन से ही मैंने जो भी सोचा वह मेरे साथ नहीं हुआ जब भी मैं कुछ अच्छा सोचती हूं तो हमेशा मेरे साथ कुछ ना कुछ बुरा हो जाता है। मैंने महिमा जी को समझाया और कहा देखिए महिमा जी आप अपना दिल छोटा मत कीजिए आप एक अच्छी महिला हैं और ऑफिस में भी आपकी सब लोग तारीफ करते हैं। महिमा जी मुझे कहने लगे कि संतोष जी यह सब तो ठीक है लेकिन मेरे पति मुझे छोड़ कर जा चुके हैं और एक महिला के लिए अकेले समाज से लड़ पाना कितना मुश्किल है मुझे यह अपने पति से अलग होने के बाद पता चला मैं बहुत ही ज्यादा तकलीफ झेल रही हूं। मैंने महिमा जी से कहा कि आप बेवजह ही अपने दिमाग पर जोर डाल रही हैं ऐसा सोचने से कभी कुछ अच्छा होने वाला नहीं है।

मैंने उन्हें काफी हिम्मत दी तो वह मुझसे मेरे बारे में पूछने लगी मैंने उन्हें अपने बारे में बताया मैंने उन्हें बताया कि मैं पहले जिस कंपनी में काम करता था वहां पर मेरा एक दिन मेरे सीनियर के साथ झगड़ा हो गया और उनकी बॉस के साथ बहुत अच्छी बनती थी इसलिए मुझे ऑफिस छोड़ना पड़ा। महिमा जी और मेरे बीच में उस दिन काफी देर तक बात हुई और उसके बाद तो यह सिलसिला लगातार चलता रहा मैं जब भी अपने घर से जाता तो मुझे महिमा जी हमेशा दिखाई देती थी क्योंकि जिस बस में मैं जाता था उसी बस में महिमा जी भी जाती थी। महिमा जी एक दिन मुझसे पूछने लगी कि आप कभी अपनी गाड़ी से नहीं आते हैं तो मैंने महिमा जी को कहा कि मैं अपनी कार से आना पसंद नहीं करता क्योंकि ऑफिस इतनी ज्यादा दूर भी नहीं है और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट से आने में ज्यादा ठीक लगता है। महिमा जी कहने लगे की यह तो आपकी बहुत अच्छी सोच है, जब भी वह अपने घर से कुछ अच्छी डिश बना कर लाती थी तो मुझे वह लंच में जरूर दिया करती थी मैं उनके खाने की हमेशा ही तारीफ करता। उनकी शायद इसमें कोई गलती नहीं थी उनके पति ने उन्हें छोड़ा और वह उसके बाद बहुत ज्यादा दुखी हुई थी लेकिन किसी प्रकार से वह अपने आप को संभालने लगी थी और उनके जीवन में भी सब कुछ ठीक होने लगा था। मेरे और महिमा जी के बीच दोस्ती काफी अच्छी हो चुकी थी एक दिन हम लोग सुबह ऑफिस के लिए जा रहे थे तो उस दिन महिमा जी ने मुझे कहा कि क्या आप मेरे घर पर डिनर के लिए आ सकते हैं। मैंने उन्हें कहा कि क्यों नहीं, महिमा जी ने मुझे अपने घर पर डिनर पर इनवाइट किया था तो मैं भी भला उन्हें कैसे मना कर सकता था और मैं उनके घर पर डिनर पर जाने के लिए तैयार हो गया। मैं जब उनके घर पर डिनर के लिए गया तो उन्होंने उस दिन मुझे अपनी मम्मी और पापा से भी मिलवाया उनके मम्मी पापा उन्हें बहुत प्यार करते हैं लेकिन वह लोग भी शायद इसी परेशानी से जूझ रहे हैं की महिमा जी ने अपने पति से अलग होने का फैसला कर लिया। ना चाहते हुए भी महिमा जी की मम्मी के चेहरे पर यह बात आ ही गई और उन्होंने मुझे कहा बेटा जब से महिमा ने अपने पति से अलग होने का फैसला किया है उसके बाद से हमारे सारे रिश्तेदार हम पर दबाव बनाने लगे हैं और वह लोग अब हमारे घर भी नहीं आते हैं मैं तो कई बार सोचती हूं कि हम लोगों ने इतनी मेहनत की है उसके बाद अब जब अच्छा समय आ गया था तो किस्मत ने हमें दोबारा उसी मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है।

मैंने आंटी जी को भी समझाया और कहा देखिए आप अपना दिल छोटा मत कीजिए महिमा जी बहुत हिम्मत वाली महिला हैं आप बेवजह ही अपना दिल छोटा कर रही हैं ऐसा करने से आप उन्हें भी तकलीफ देंगे। आंटी मेरी बात तो समझ चुकी थी और उसके बाद वह मुझसे कहने लगी कि संतोष बेटा तुमसे मिलकर आज अच्छा लगा। उसके बाद तो यह सिलसिला अक्सर चलता रहा मैं उनके घर पर भी अक्सर जाता रहता था। एक दिन मैंने उन्हें अपने घर पर भी इनवाइट किया और उस दिन मैंने महिमा जी को अपने परिवार से मिलवाया। जब उन्हें इस बात का पता चला कि महिमा जी का उनके पति से डिवोर्स हो चुका है तो मेरी मम्मी मुझे कहने लगी कि बेटा महिमा का डिवोर्स इतनी कम उम्र में ही हो गया और उसके बाद भी महिमा हिम्मत से अपनी जिंदगी में लड़ रही है। मेरी मम्मी को महिमा जी का व्यक्तित्व बहुत पसंद आया और वह महिमा की तारीफ करने लगी लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि उनके तारीफ करने के पीछे उनका स्वार्थ छुपा हुआ है उन्होंने मुझे कहा कि महिमा के साथ तुम शादी कर लो। जब उन्होंने मुझे यह बात कही तो मैंने मम्मी से कहा मम्मी ऐसा नहीं हो सकता मैंने कभी भी महिमा जी के बारे में ऐसा कुछ सोचा ही नहीं है तो मम्मी मुझे कहने लगी बेटा तुम्हें महिमा से अच्छी लड़की नहीं मिल पाएगी।

मम्मी की यह बात शायद मुझे उस वक्त तो अच्छी नहीं लगी लेकिन जब हम लोग एक दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताने लगे तो मुझे भी लगने लगा कि महिमा भी अब मेरी छोटी छोटी बातों का ध्यान रखने लगी है और मुझे यह सब चीजें अच्छी लगने लगी। महिमा को भी पता नहीं कब यह सब अच्छा लगने लगा और हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सगाई करने का फैसला कर लिया। हम दोनों की सगाई का फैसला सब लोगों को मंजूर था मेरे माता-पिता को भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी और ना ही महिमा के माता-पिता को इस बात से कोई आपत्ति थी और उसके बाद हम लोगों की सगाई हो चुकी थी। मेरी और महिमा की सगाई हो चुकी थी जब महिमा मुझसे मिलने के लिए घर पर आती तो एक दिन मैंने महिमा के होठों को चूम लिया था महिमा ने भी मुझे रोका नहीं था। उसके बाद जब भी वह मुझे मिलती तो मैं हमेशा ही उसके होठों का रसपान कर लिया करता मुझे अच्छा लगता लेकिन जब मैंने महिमा के स्तनों को चूसना शुरू किया तो मेरे अंदर गर्मी बढ़ने लगी। वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी है इस बात से शायद महिमा भी पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी और महिमा ने भी उस दिन मेरे लंड को बाहर निकाल कर अपने हाथों से हिलाया वह बहुत तेज मेरे लंड को अपने हाथों से हिलाती। जब मेरा लंड पूरी तरीके से तन कर खड़ा हो चुका था तो उसने मेरे खड़े लंड को अपने मुंह के अंदर लिया और जिस प्रकार से वह मेरे लंड का रसपान कर रही थी वह मेरे लिए बहुत ही अच्छा था।

मैंने महिमा को कहा कि तुम ऐसे ही करती रहो महिमा ने बहुत देर तक मेरे लंड का रसमान किया मैंने महिमा की पैंटी को खोल कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया तो उसे भी मजा आने लगा वह अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाने लगी और अपने मुंह से मादक आवाज निकालने लगी। मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर घुसाना शुरू किया तो वह चिल्ला उठी मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर तक जा चुका था और उसकी चूत की दीवार से जब मेरा लंड टकराता तो वह चिल्ला उठती। मैंने भी अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए तेज गति से उसे चोदना शुरू कर दिया था मैं बड़ी तेज गति से उसे धक्के मार रहा था मुझे उसे धक्के मारने में बड़ा आनंद आ रहा था और काफी देर तक यह सिलसिला चलता रहा।

मैंने जब उसकी चूतड़ों को अपनी तरफ करते हुए अपने लंड को महिमा की योनि के अंदर घुसाया तो वह चिल्ला उठी। महिमा की चूत से पानी निकल रहा था मुझे महिमा के साथ शारीरिक संबंध बनाने में मजा आ रहा था। वह लगातार अपनी बड़ी चूतडो को मुझसे टकराए जा रही थी जब उसकी चूतडे मुझसे टकराती तो उनसे एक अलग ही प्रकार की आवाज पैदा होती। जब महिमा की चूतड़ों की आवाज मेरे कानो में जाती तो मेरे अंदर का जोश और भी ज्यादा बढ जाता मैं लगातार तेजी से महिमा की चूतडो पर प्रहार करता मेरा लंड उसकी चूत के अंदर आसानी से जाने लगा था क्योंकि महिमा की चूत चिकनी हो चुकी थी। मुझे उसे चोदने में बहुत ही मजा आया काफी देर तक हम दोनों ने एक दूसरे के बदन की गर्मी को महसूस किया और महिमा के शरीर से कुछ ज्यादा ही गर्मी बाहर निकलने लगी थी उसे हम दोनों ही ना झेल सके। जब मैंने महिमा की चूतड़ों पर अपने वीर्य को गिराया तो वह मुझे कहने लगी आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है उस दिन के बाद महिमा और मेरे बीच में ना जाने कितनी ही बार आपस में शारीरिक संबंध बने मुझे महिमा के साथ सेक्स करना बहुत पसंद है और अभी तक हम दोनों की शादी नहीं हो पाई है।

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