चूत की दीवार तक हिला दी

   01/06/2019

Antarvasna, hindi sex story:

Chut ki deewar tak hila di प्रिंसिपल मैडम मुझे अपने कैबिन में बुलाती हैं और वह मुझे साफ तौर पर निर्देश देती हैं कि आरोही मैडम इस बार रिजल्ट पूरा हंड्रेड परसेंट होना चाहिए मैं नहीं चाहती कि इस बार कुछ कमी रह जाए। प्रिंसिपल मैडम का स्वभाव बड़ा ही सख्त मिजाज है वह हमेशा ही हर टीचर को कहती हैं कि मुझे रिजल्ट हमेशा 100% चाहिए लेकिन यह सब इतना आसान भी थोड़ी है उन्होंने तो कह दिया कि रिजल्ट 100% ही चाहिए लेकिन ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं हो सकता। प्रिंसिपल मैडम के ऊपर भी स्कूल प्रशासन का दबाव ही तो था वह लोग चाहते थे कि किसी भी प्रकार से बच्चों के अच्छे नंबर आ जाए ताकि अगले वर्ष भी स्कूल में अच्छे दाखिले हो इसीलिए उन्होंने सबको यह बात कह दी थी। प्रिंसिपल मैडम की बात अब माननी ही थी और मैंने बच्चों को अच्छी तरीके से पढ़ाना शुरू किया वैसे तो मेरी पढ़ाई में कोई कमी नहीं थी लेकिन फिर भी मैं चाहती थी कि मेरे सब्जेक्ट में बच्चों के अच्छे नंबर आ जाएं और उसके लिए मैंने पूरी मेहनत की।

जब रिजल्ट आया तो मेरे सब्जेक्ट में बच्चों के अच्छे नंबर आ चुके थे प्रिंसिपल मैडम ने मेरी तारीफ की और जिनके सब्जेक्ट में अच्छे नंबर नहीं आ पाए थे उन लोगों को स्कूल से निकाल दिया गया। प्रिंसिपल मैडम का यह सख्त मिजाज हमेशा ही बना रहता था और वह चाहती थी कि किसी भी प्रकार से बच्चों के अच्छे नंबर आ जाए उसके लिए हम लोग हमेशा ही मेहनत करते थे। लंच टाइम में मैं और मेरे साथ ही पढ़ाने वाली काजल मैडम साथ में बैठे हुए थे हम दोनों साथ में बैठ कर बात कर रहे थे तो वह प्रिंसिपल मैडम के बारे में कहने लगी कि मैडम का सख्त रवैया बड़ा ही घातक है। काजल मैडम भी जानती थी कि स्कूल से कई लोगों को अब तक निकाला जा चुका है। मैंने काजल मैडम को कहा मैडम आप तो प्रिंसिपल मैडम का रवैया जानती ही हैं वह कितने सख्त हैं और वह किसी को भी माफ नहीं करती हैं। काजल मैडम और मैं आपस में बात कर ही रहे थे कि तभी हमारे साथ में पढ़ाने वाली संजना मैडम भी आ गई और वह हमारे साथ बात करने लगी कुछ देर बाद लंच खत्म हो गया था और मैं बच्चों को पढ़ाने के लिए क्लास में चली गई। मैं जब क्लास में गई तो बच्चे शरारत कर रहे थे मैंने उन्हें चुप कराते हुए अपनी क्लास शुरू करवाई और अब मैं अपनी क्लास पढ़ाने लगी थी।

मेरी क्लास खत्म हो चुकी थी और उसके बाद मैं ऑफिस में आकर बच्चों के होमवर्क को चेक कर रही थी समय का पता ही नहीं चला और मैं जब घर लौटी तो उस दिन मेरे पति कुछ ज्यादा ही परेशान नजर आ रहे थे। मैंने उनसे पूछा आज आप बहुत परेशान नजर आ रहे हैं वह मुझे कहने लगे कि आरोही अब तुम्हें क्या बताऊं मैं तो बहुत ज्यादा परेशान हो चुका हूं मैं सोच रहा हूं कि अपनी नौकरी से रिजाइन दे देता हूं। मैंने अपने पति को समझाया और कहा लेकिन आप ऐसी मूर्खता पूर्वक बातें क्यों कर रहे हैं आप इतनी अच्छी कंपनी में जॉब कर रहे हैं और आप कह रहे हैं कि वहां से आप रिजाइन दे रहे हैं यह कौन सी समझदारी की बात है। मैंने अपने पति को जब तीखे शब्दों में कहा तो वह मुझे कहने लगे कि आरोही अब मैं तुम्हें क्या बताऊं मैं बहुत ज्यादा परेशान हो चुका हूं ऑफिस में इतना ज्यादा काम का प्रेशर होने लगा है कि मुझसे तो बिल्कुल भी झेला नहीं जाता आए दिन बॉस की डांट सुनते रहो, क्या ऐसे ही जिंदगी चलती रहेगी। मैंने अपने पति गौतम को कहा देखो गौतम मैं भी स्कूल में अपनी मैडम की डांट सुनती हूं लेकिन उसके बावजूद भी तो मैं काम कर रही हूं ना मैं चाहती हूं कि हम लोग एक अच्छा भविष्य बनाएं उसी के लिए मैं इतनी मेहनत कर रही हूं। गौतम मुझे कहने लगे कि हां तुम ठीक कह रही हो लेकिन मैं सोच रहा हूं कि यहां रिजाइन देने के बाद किसी दूसरी कंपनी में नौकरी तलाश लूंगा। मैंने गौतम को कहा गौतम आप देख लीजिए जैसा आपको उचित लगता है गौतम मुझे कहने लगे कि वैसे तो मैंने अपने कुछ पुराने मित्रों से बात कर ली है वह जिस कंपनी में जॉब करते हैं वहां पर मैंने अपना रिज्यूम भी भिजवा दिया है जल्दी ही वहां से भी रिप्लाई आ जाएगा क्या पता वहीं मेरी जॉब का बंदोबस्त हो जाए। मैंने गौतम को कहा गौतम यह तो आप देख लीजिए कि आप किस प्रकार से अपना फैसला लेते हैं इस फैसले में तो मैं कुछ भी नहीं कह सकती हूं और ना ही मैं आपकी मदद कर सकती हूं।

कुछ दिनों बाद गौतम ने अपने ऑफिस से रिजाइन दे दिया और उसके बाद वह अब घर पर ही थे मैं स्कूल से लौटती तो मुझे गौतम के साथ कुछ समय के लिए ही सही लेकिन अच्छा वक्त बिताने का मौका मिल गया था। हम लोग काफी समय से एक अच्छा वक्त साथ में बिता ही नहीं पाए थे गौतम अपनी जॉब में ही बिजी रहते थे और मैं भी अपने स्कूल में बिजी रहती थी इसलिए हम दोनों एक दूसरे को समय ही नहीं दे पाते थे लेकिन अब मैं और गौतम कुछ समय के लिए ही सही लेकिन एक दूसरे को अच्छा समय दे रहे थे और एक दूसरे का साथ भी हम लोग अच्छे से दे रहे थे। जब मैं स्कूल से आ जाती तो मैं और गौतम हर रोज शाम के वक्त पार्क में साथ में टहलने के लिए जाते उस दौरान हम लोगों के बीच कई बातें हो जाया करती थी। मुझे बहुत ही खुशी थी कि गौतम और मैं एक साथ अच्छा वक्त बता पा रहे हैं। कुछ ही समय बाद गौतम ने दूसरी कंपनी भी ज्वाइन कर ली और मुझे इस बात की खुशी थी कि गौतम ने दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली है गौतम और मैं अब एक साथ ही समय बिताने लगे थे। गौतम ने जो दूसरी कंपनी ज्वाइन की थी वहां पर जॉब करने से वह खुश थे वह कहने लगे कि मेरा यह अच्छा फैसला रहा जो मैंने अपनी पुरानी कंपनी से रिजाइन दे दिया था।

गौतम अपने काम से खुश थे और मैं भी अपने स्कूल में बच्चों को पढ़ाने से खुश थी कुछ समय के बाद मेरी भी सैलरी बढ़ चुकी थी मैं इस बात से खुश थी और मैंने गौतम को कहा कि आज हम लोग कहीं घूमने के लिए चलते हैं। हम दोनों काफी समय से एक दूसरे के साथ कहीं गए भी नहीं थे तो हम लोग उस दिन साथ में एक रेस्टोरेंट में चले गए वहां पर हम दोनों ने अच्छा समय साथ में बिताया। गौतम बहुत खुश थे और मुझे भी बहुत खुशी थी क्योंकि मेरी तनख्वाह बढ़ चुकी थी हम लोग जिस वक्त घर लौट रहे थे तो उस वक्त शायद कोई हमारा पीछा कर रहा था मैंने जब पीछे मुड़कर देखा तो पीछे मेरे साथ पढ़ने वाला अविनाश खड़ा था। मैंने अविनाश को कहा आज तुम यहां पर कैसे अविनाश मुझे कई सालों बाद मिला था अविनाश को मैंने अपने पति से भी मिलवाया अविनाश और मैं साथ में ही पढ़ा करते थे। अविनाश मुझे कहने लगा कि मैं अब मुंबई में ही शिफ्ट हो चुका हूं, मैंने अविनाश को कहा चलो तुमसे कभी और मुलाकात करती हूं उसके बाद मैं और मेरे पति घर आ गए। मैं एक दिन स्कूल में ही थी मुझे अविनाश का फोन आया जब मुझे अविनाश का फोन आया तो वह मुझे कहने लगा कि आरोही तुम क्या कर रही थी? मैंने उसे कहा मैं तो अभी स्कूल में हूं वह मुझे कहने लगा कि मुझे तुमसे मिलना था। मैं अविनाश से मिली मैं जब अविनाश से मिली तो उसे मिलकर मुझे अच्छा लगा और उसके बाद हमारी मुलाकात कई बार होती रही। एक दिन अविनाश मुझसे मिलने के लिए घर पर आया जब वह मुझसे मिलने के लिए मेरे घर पर आया तो उस वक्त हम दोनों ही अकेले थे। अविनाश ने मुझे अकेला पाकर मेरी जांघ पर हाथ रखा जब उसने मेरी जांघ को सहलाना शुरू किया तो उससे मैं पूरी तरीके से मचलने लगी थी। अविनाश के लंड को मैंने दबाना शुरू किया और अविनाश ने मेरे गुलाबी होंठों को चूमना शुरू किया उसने जब मेरी मोटी गांड को अपने हाथ से दबाना शुरू किया तो मैंने भी उसकी पेंट से उसके लंड को बाहर निकाला और अपने मुंह के अंदर लेकर चूसने लगी।

कुछ देर में उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती कुछ देर तो मैं अपने हाथों से हिलाती मुझे अच्छा लगता। अविनाश ने मुझे कहा कि तुम अपनी पैंटी को उतार दो? मैंने अपनी पैंटी को उतारा और अविनाश ने मेरी चूत पर लगाया अविनाश ने मेरी चूत के अंदर अपने जीभ को डालना शुरू किया वह बड़े ही अच्छे से मेरी चूत का रसपान कर रहा था उसने बहुत देर तक मेरी चूत का रसपान किया। अब हम दोनों ही गरम हो चुके थे अविनाश ने मेरे पैरो को चौड़ा करते हुए मेरी चूत के अंदर धीरे से अपने लंड को घुसाना शुरू किया धीरे-धीरे उसका लंड मेरी चूत के अंदर प्रवेश होने लगा था और उसका लंड मेरी चूत के अंदर तक चला गया। वह मुझे धक्के मारने लगा मुझे अच्छे लगने लगा उसका लंड मेरी चूत की दीवार से टकरा रहा था वह लगातार तेजी से मुझे धक्के मार रहा था।

मैंने अपने पैरों को चौड़ा कर लिया अविनाश ने मुझे बहुत देर तक धक्के मारे मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और मैं पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी। अविनाश ने मेरी चूतड़ों को अपनी तरफ किया और उसने मुझे बिस्तर पर लेटाकर मेरी चूत के अंदर अपने लंड को डाला उसका लंड मेरी चूत के अंदर प्रवेश हो चुका था उसका लंड मेरी चूत की दीवार से टकराने लगा था। जब वह धक्के मारता तो मेरी चूतड़ों पर भी उसके धक्को का असर होता मेरे स्तन और मेरा पूरा शरीर हिलने लग जाता। मैंने अविनाश को कहा तुम्हें आज मुझे चोदने के बारे में कहा से ख्याल आया? वह कहने लगा तुम अब कुछ ज्यादा ही माल हो चुकी हो और तुम्हें चोदने में आज बड़ा मजा आ रहा है अविनाश ने मेरी चूत का भोसड़ा बना कर रख दिया था मेरी चूत और उसके लंड से जो गर्मी बाहर की तरफ निकल रही थी उसको हम दोनों ही नहीं झेल पा रहे थे। जब मैंने अविनाश को कहा मैं तो झड़ चुकी हूं तो अविनाश ने कहा कि मेरा भी वीर्य तुम्हारी चूत के अंदर ही गिर चुका है।

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