दोस्त की मां के साथ रंगरलियां मनाई

   01/10/2018

Dost ki maa ke sath rangraliyan manayi:

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मेरा नाम रमन है और मैं 18 वर्ष का लड़का हूं। मैंने इसी वर्ष अपनी 12वीं की परीक्षा कंप्लीट की है। अब मैं कॉलेज के लिए तैयारी कर रहा हूं। मैं आगरा का रहने वाला हूं इसलिए मेरे पिताजी चाहते हैं कि मैं अच्छी जगह पर पढ़ाई करूं और इसके लिए हमारे घर पर मेरे चाचा ने भी उन्हें कहा था कि रमन को किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला दिलवाइये जिससे कि उसका भविष्य अच्छा हो और वह बहुत ही अच्छे से पढ़ाई कर सके। मुझे भी कई बार ऐसा ही लगता था कि मुझे किसी अच्छे कॉलेज में ही पढ़ना चाहिए क्योंकि मैं भी अपने भविष्य में कुछ अच्छा करना चाहता था। जिसके चलते मैं यही सोचता था कि मेरे जीवन में कुछ अच्छा होना चाहिए और मुझे जब एक अच्छी शिक्षा मिलेगी उसके बाद ही मैं अपने जीवन में अच्छा भविष्य बना पाऊंगा। जिससे मेरे माता-पिता भी बहुत खुश होंगे और मुझे अपने आप से भी बहुत खुशी होगी। इस बारे में मैं अपने भैया से भी बात किया करता था। वह कहते थे कि तुम दिल्ली में किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला ले लो। मुझे भी ऐसा ही लगता था इसलिए मेरे माता-पिता भी यही चाहते थे। मेरे बड़े भैया पढ़ने में बहुत ही अच्छे थे। वह हमेशा ही पढ़ाई के ऊपर विशेष जोर दिया करते थे और मुझे कहते थे कि तुम्हें अच्छे से पढ़ाई करनी चाहिए जिससे कि तुम्हारा भविष्य उज्जवल हो।

आगरा में मेरा एक दोस्त है उसका नाम अमित है। वह मेरे बचपन का दोस्त है। मैं उससे हर एक बात शेयर किया करता हूं। जब भी मुझे किसी प्रकार की कोई समस्या होती है या फिर मुझे ऐसा लगता है कि मुझे अपने जीवन में कुछ अच्छा करना है तो मैं उससे ही अक्सर बात किया करता हूं और वह मुझे हमेशा ही अच्छी राय देता है। वह मेरी भावनाओं को बहुत ही अच्छे से समझता है और हमेशा कहता है कि तुम पढ़ने में अच्छे हो इसलिए तुम्हें कुछ अच्छा करना चाहिए। मैंने जब उसे यह बात बताई कि मैं अब पढ़ने के लिए दिल्ली जाने की सोच रहा हूं तो अमित कहने लगा कि तुमने यह तो बहुत ही अच्छा फैसला लिया है क्योंकि दिल्ली में बहुत ही अच्छा कॉलेज है और वहां शिक्षा संस्थान बहुत ही अच्छे हैं यदि तुम वहां पढ़ाई करोगे तो तुम्हारा भविष्य बहुत ही अच्छा होगा। मुझे भी लगने लगा था और मैं यही सोचने लगा था कि मैं दिल्ली में ही पढ़ाई करूं, जिससे कि मेरी पढ़ाई बहुत अच्छी हो और मैं इसी के चलते दिल्ली चला गया। मेरे घर वाले भी मुझे दिल्ली जाने के लिए कह रहे थे।

मैंने दिल्ली के एक अच्छे संस्थान में एडमिशन ले लिया और मैंने उस संस्थान में जब एडमिशन लिया तो मेरी वहां कई लोगों से दोस्ती हो गई थी। वह लोग दिल्ली के ही रहने वाले थे उनमें से एक लड़का, जिसका नाम श्याम था उससे मेरी बहुत ही गहरी मित्रता हो गई। उसे मेरे बारे में सब पता था कि मैं आगरा का रहने वाला हूं और हॉस्टल में रहता हूं। वह अक्सर हॉस्टल में आ जाया करता था और वह मेरे साथ ही समय बिताता था। मैं भी उसके साथ काफी समय बिताता था क्योंकि वह बहुत ही अच्छा लडका था और हम दोनों के बीच में मित्रता हो चुकी थी इस वजह से वह मुझसे बहुत ही अच्छे से रहता था। अब हम दोनों के बीच में बहुत सी बातें हो जाया करती थी। श्याम ने कॉलेज में ही एक गर्लफ्रेंड बना रखी थी। जब उसने मुझे यह बात बताई तो मैंने उसे कहा कि तुम तो इस तरीके के लड़के लगते नहीं हो, मुझे तो तुम बहुत ही पडाकू किस्म के लगते हो लेकिन तुमने गर्लफ्रेंड कब बनाई। वह कहने लगा कि बस ऐसे ही, उसने ही मुझे प्रपोज कर दिया। वह जब भी मेरे साथ होता तो अपनी गर्लफ्रेंड की बातें मुझसे किया करता था लेकिन मेरी कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं थी इसलिए मुझे बहुत ही अजीब सा लगता था। एक दिन मैंने श्याम से कहा कि मुझे हॉस्टल में रहने में काफी तकलीफ हो रही है यदि तुम मेरे लिए कहीं और रहने की व्यवस्था कर दो तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा। श्याम मुझे कहने लगा कि तुम एक काम करो, जब तक तुम्हारी रहने की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक तुम मेरे साथ मेरे घर पर ही रह लो। मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हारे घर पर कैसे रह सकता हूं। वो कहने लगा तुम मेरे इतने अच्छे दोस्त हो तो क्या मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता। अब उसने अपने घर पर अपनी मम्मी से मेरे लिए बात कर ली थी।

मैं उसके घर गया और मैंने उसकी मम्मी को देखा तो उसकी मम्मी की उम्र बहुत कम थी। मैंने आंटी से पूछा कि आपकी उम्र तो बहुत ही कम लग रही है। वह कहने लगे कि हां मेरी शादी बहुत जल्दी हो गई थी इस वजह से मेरी उम्र कम है। अब ऑन्टी का व्यवहार मेरे प्रति बहुत ही अच्छा था और मुझे वहां बहुत ही अच्छा लगता था। मैं उनके साथ बैठकर काफी देर तक बात किया करता था जिससे कि मुझे अपने घर की कभी याद नहीं आती थी और मुझे उनके साथ बैठ कर बात करना बहुत ही अच्छा लगता था। वह मुझे कहती थी कि तुम्हें किसी भी प्रकार की कोई चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। तुम हमारे साथ जब तक चाहो तब तक रह सकते हो। वह जब भी मेरे साथ होती तो मुझे काफी अच्छा लगता था और शायम अपनी गर्लफ्रेंड से फोन पर बातें किया करता था। जिस दिन हमारी छुट्टी होती थी उस दिन सब लोग घूमने जाया करते थे और हम लोग बहुत ही मस्ती करते थे।

लेकिन कहीं ना कहीं मुझे ऐसा लगता था कि श्याम की मां मुझ पर डोरे डालती है। मैं जब नहा रहा होता था तो वह मुझे देखा करती थी जब मेरा हाथ उनके शरीर पर लग जाता तो वह बहुत ही खुश हो जाती और मस्त हो जाती। एक दिन वह बाथरूम में नहा रही थी तो मैंने भी उस दिन उनको देख लिया वह अपने बदन को अच्छे से रगड़ रही थी और अपने स्तनों को दबा रही थी। जब मैंने उनका बदन देखा तो मेरा मन पूरी तरीके से खराब हो चुका था और मैं उन्हें चोदने की सोचने लगा था लेकिन मुझे मौका नहीं मिल रहा था। एक दिन श्याम कहीं गया हुआ था तो उस दिन उसकी मां और मैं ही घर पर थे। वह मेरे कमरे में आ गई और मेरे साथ ही बैठ कर बात कर रही थी। लेकिन वह किसी ना किसी प्रकार से मुझे छेड़ने की कोशिश कर रही थी वह कभी मेरे जांघो पर हाथ लगा देती और कभी मेरे बालों को सहलाने लगती। मैंने भी अब उनकी जांघों पर हाथ लगाना शुरू कर दिया और उनका शरीर पूरे तरीके से मस्त हो गया था उनसे बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था। जब मैंने उनके स्तनों को दबाना शुरू किया तो वह बहुत ही उत्तेजना में आ गई और उन्होंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। जब मैंने उनके शरीर को देखा तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मैंने उन्हें वही बिस्तर पर लेटा दिया। मैने उनके होठों को चूमना शुरू कर दिया वह मेरे नीचे लेटी हुई थी और बड़ी ही मचल रही थी। मैन उनके स्तनों को अपने हाथ से दबा दिया और उनके होठों को अपने हाथों में लेकर अच्छे से चूस रहा था। मैंने जब उनकी योनि पर उंगली लगाई तो उस से पानी निकलने लगा और वह बहुत ज्यादा खुश हो गई मैंने उनकी योनि को सहलाना शुरू किया। कुछ देर बाद मैने उनकी योनि को अच्छे से चाटा जिससे कि उनकी योनि से चिपचिपा पदार्थ बाहर निकलने लगा। उनसे बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था और मैंने तुरंत ही अपने लंड को उनकी योनि के अंदर डाल दिया और जब मैंने अपने लंड को उनकी योनि में डाला तो वह उछल पड़ी और कहने लगी तुमने बहुत ही अच्छे से मेरी चूत को चाटा और अब तुमने मेरी योनि में अपने लंड को घुसाया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने उन्हें धक्के देने शुरू कर दिए और बड़ी तीव्रता से मैं उन्हें चोदे जा रहा था। उन्होंने अपने दोनों पैरों को खोल लिया और वह मुझे किस करने लगी मैं उन्हें झटके दिए जा रहा था। जिससे कि वह बहुत ही मजे में आ रही थी और मुझे भी बहुत मजा आ रहा था। हम दोनों ही पूरे मजे में थे कुछ देर तक मैंने उन्हें ऐसे ही धक्के मारे उसके बाद उनका झड़ चुका था और उन्होंने अपने दोनों पैरों के बीच में मुझे जकड़ लिया। मैंने भी तेजी से धक्के मारने शुरू किए और उन्ही झटकों के बीच में ना जाने कब मेरा माल उनकी योनि के अंदर ही गिर गया मुझे पता भी नहीं चला।

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