दिल्ली की आंटी के साथ मजे लिए

   18/07/2018

Delhi ki aunty ke sath maje liye:

desi aunty sex stories, hindi porn kahani

हेलो फ्रेंड मेरा नाम अनुराग है। मैं चेन्नई का रहने वाला हूं लेकिन मैं झारखंड में रहता हूं। चेन्नई में मेरे माता पिता मेरी पत्नी और मेरा एक छोटा बेटा रहता है। मेरी पत्नी का नाम काव्या है। मेरी शादी को चार साल हो चुके हैं। कुछ समय पहले मेरा ट्रांसफर झारखंड में हुआ। अब मैं झारखंड में ही रहता हूं। और मेरे बीवी बच्चे चेन्नई में रहते हैं। एक दिन  अचानक मेरी मुलाकात मीरा से हुई। मैं जिस ऑफिस में अब काम करता हूं। उसे ऑफिस में मीरा नाम की एक लड़की भी काम करती थी। मीरा बहुत अच्छी लड़की थी। और मेरी काफी अच्छी दोस्त भी बन गई थी। लेकिन दोस्ती में हमें एक दूसरे से प्यार हो गया। मैं मीरा को कॉलेज टाइम से जानता था। शादी भी मैं मीरा से ही करना चाहता था।

मेरे पिताजी ने मेरी शादी अपने एक दोस्त की बेटी से करा दी। फिर मैं अपने घरवालों को ना भी नहीं बोल पाया और मैंने काव्या से शादी कर ली। लेकिन शादी करने के बाद मैं मीरा को भूल चुका था। और अपनी बीवी बच्चों के साथ बहुत खुश था। लेकिन मेरे झारखंड जाने के बाद मेरी मुलाकात मीरा से हुई। हम दोनों एक ही ऑफिस में काम करते थे। हम दोनों में एक बार फिर दोस्ती हो गई थी और बातों ही बातों में फिर से प्यार हो गया। मैं खुद को रोक नहीं पाया मुझे मीरा से मिलने के बाद मेरी शादी का पछतावा भी हो रहा था। लेकिन अपने मां पिताजी की जिद के आगे मैं कुछ नहीं कर पाया। पहले तो सब ठीक चल रहा था लेकिन मीरा के मिलने के बाद मुझे उससे फिर से प्यार होने लगा। मीरा को यह पता था कि मेरी शादी हो चुकी है। लेकिन फिर भी वह मुझसे शादी करना चाहती थी।

वह भी मुझे भूल ना पाई थी। मैंने जैसे-तैसे करके बात को टाल दिया। लेकिन जब हम लोग साथ में ही रह रहे थे तो कब तक बात को टालता। हम दोनों एक ही फ्लैट में रह रहे थे। लेकिन यह बात मेरे घर वालों को पता नहीं थी। मैंने यह बात  काव्या को भी नहीं बताई थी। मैं और मीरा साथ मे ऑफिस जाते फिर घूमने जाते और फिर साथ ही घर आते। हम दोनों में काफी नजदीकियां बढ़ने लगी। मीरा ने आज मुझे अपने गले लगा लिया। जैसे ही उसने मुझे अपने गले लगाया। तो मैं बहुत खुश हो गया और उसे कहने लगा क्या बात है। आज तुमने मुझे गले लगा लिया। वो कहने लगी कि ऐसे ही मुझे आज तुम पर बहुत प्यार आ रहा है। मैं यह सुनकर काफी खुश हुआ और मैंने कहा आज किस बात पर तुम्हें प्यार आ रहा है। यह कहते-कहते मैंने उसकी पतले पतले होठों को अपने हाथों में ले लिया और उसे किस करना शुरु कर दिया। मैं जैसे ही उसके होंठो को चुसता तो वह मुझे कहती कि कितने समय बाद तुमने मेरे साथ आज अच्छे से किस किया है। वह भी मुझे किस करने लगी। मैंने अपनी जीभ को उसकी जीभ में डाल दिया। कभी वह अपनी जीभ को मेरे मुंह के अंदर डाल लेती। मैं उसकी जीभ को अच्छे से चाट लेता। मैंने उसके होठों को चूमने के बाद उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया। जैसे ही मैंने उसकी पतली कमर को कस कर पकड़ा था। वह मुझसे आकर टकरा गई और मैं उसके स्तनों मुझसे टकरा रहे थे। मैंने उसके स्तनों को भी दबाना शुरु किया और कभी उसके पेट पर अपने हाथ फेरता तो उसी कमर बहुत ही पतली थी।

मैंने उसकी लोवर को खोलते हुए। उसकी पैंटी को निकाल दिया। मैं उस चूत मे उंगली डालने लगा। मैंने उंगली को बाहर निकाला और अपने मुंह में लेकर उसका स्वाद चखा। मुझे काफी अच्छा लगा उसकी चूत का स्वाद और मीरा पूरी तरीके से मेरे बस में हो गई थी। वह कहने लगी कि मुझे अब तुम मसल कर रख दो और अपनी बाहों में ले लो। जैसे ही उसने यह शब्द अपने मुंह से कहें कि मुझे मसल कर दो। मैंने उसके टॉप को उतार दिया और अब उसकी ब्रा को भी मैंने खोल दिया था। मैं उसके बड़े बड़े बूब्स को अपने हाथों से जोर से दबा रहा था और उसे काफी मजा आ रहा था। जैसे-जैसे मैं चूचो को दबाता जाता। वह खुश हो रही थी और कह रही थी। आज भी तुम पहले जैसे ही हो। मैंने यह बात सुनी तो मुझे अपने आप पर काबू नहीं रहा।

उसने मेरे खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और उसने धीरे से मेरे लंड को अंदर से मेरा बाहर निकाल लिया। जैसे ही उसने मेरा लंड बाहर निकाला  तो वह काफी खुश नजर आ रही थी। उसने मुझे कहा कि मुझे ओरल सेक्स करने दो। मैंने अपने लंड को उसके मुंह के अंदर घुसेड़ दिया। वह बहुत ही प्यार से करती। पहले तो उसने मेरे टोपे को चूस चूस कर लाल कर दिया। वह एकदम टमाटर के जैसे लाल हो गया था। मेरा पानी धीरे धीरे निकल रहा था। मेरा लंड एकदम सीधा खड़ा हो गया और मैंने उसके मुंह से लंड बाहर निकालते हुए। उसे बिस्तर पर लेटा दिया। मैंने अपने लंड को उसकी योनि में टच किया और उसकी गीली योनि में मैंने लंड को प्रवेश करवाना शुरू किया। जैसे जैसे मैं उसकी योनि में अपना लंड डालता जाता तो वह मचलती जाती। जब मेरा पूरा लंड अंदर तक जा चुका था तो उसके मुंह से एक हल्की सी चीख निकली। जिसमें कि वह काफी अच्छी लग रही थी। मैंने उसके होठों को अब अपने होठों में ले लिया था और मैं धक्के मारे जा रहा था। जैसे-जैसे मैं धक्के मारता जाता तो मेरा लंड अंदर बाहर होता जाता। मैंने एक बार अपने लंड पर निगाह मारी तो वह उसकी योनि से बड़े प्यार से बाहर आ रहा था और फिर वही अंदर घुस जाता। मीरा की मादक आवाज मुझसे सहन नहीं हो पा रही थी। वह जैसे-जैसे अपनी मादक आवाज निकालती। मेरा मन ज्यादा विचलित हो जाता। मैंने भी उसकी योनि में और तेज धक्के मारने शुरू कर दिया। हम दोनों के संभोग करते वक्त एक दूसरे से जो गर्मी पैदा हो रही थी। वह काफी ज्यादा गर्म करने वाली थी। जिससे कि मेरा बी पी बहुत ही हाई हो गया था और मैंने मीरा को कसकर पकड़ लिया।

अब मैं और तेज तेज धक्के मारने लगा। लेकिन कुछ समय बाद मेरा वीर्य पतन होने को हो गया। ना जाने कब वह धीरे से मीरा की योनि में चला गया। मुझे मालूम ही नहीं पड़ा। लेकिन जैसे-जैसे वह निकल रहा था तो मुझे काफी आनंद आ रहा था। अब मीरा ने भी मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरी छाती पर अपना सिर रखकर सो गई। मैं भी उसके बालों को सहला रहा था। मुझे काफी अच्छा लग रहा था। मैंने काफी लंबे समय बाद मीरा के साथ संभोग किया है। क्योंकि पहले कॉलेज के समय में तो हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बहुत बार सेक्स किया था। लेकिन यह मेरी शादी के बाद पहला मौका था। जब मैंने मीरा के साथ सेक्स किया था। मुझे आज भी उसकी योनि उतनी ही टाइट लग रही थी। जितनी कि मैंने उसे पहली बार सेक्स किया था। मीरा मैं आज भी वही जवानी थी। जब हमारे शुरू के दौर में मैंने उसको चोदते वक्त देखी थी।

एक दिन मीरा ने मुझे बताया कि वह मां बनने वाली है। मैं बहुत हैरान रह गया। मैं सोचने लगा कि मुझसे इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई। मैं सोचने लगा कि अब क्या होगा। मीरा ने कहा अब तो तुम्हें शादी करनी ही होगी। मैं हालातों से मजबूर था मुझे मीरा से शादी करनी ही पड़ी। अब मैंने घर से छुप के मीरा से शादी कर ली अगर शादी नहीं करता तो मीरा की बदनामी हो जाती। इस वजह से मैंने मीरा से शादी कर ली और अब मैं ज्यादातर मीरा के पास ही रहता था। मुझे अपने घरवालों की याद भी आती तो मैं क्या करता फिर कुछ समय बाद मैं अपने घर चेन्नई गया। मैं गया तो इस इरादे से था कि काव्य को सब बता दूं। लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई मुझे डर था कि काव्या कुछ कर ना दे फिर मैंने अपने बेटे की तरफ देखा और खुद पर मुझे बहुत गुस्सा आया। मैं सोचता इस वक्त मैंने अपने बेटे के साथ समय गुजारना था लेकिन हालात ही कुछ ऐसे थे कि मुझे जाना पड़ा। मेरे बेटे ने मुझे बहुत रोकने की कोशिश की वह कहता कुछ दिन और रुक जाओ पापा लेकिन मैं मीरा को इस हालात में अकेला नहीं छोड़ सकता था। इसलिए मुझे झारखंड जाना पड़ा चेन्नई से झारखंड आते-आते मैं सारे रास्ते भर अपने मां बाप और बीवी बच्चों के बारे में सोचता रहा।

एक तरफ तो मेरे मां-बाप, बीवी-बच्चे और दूसरी तरफ मीरा और होने वाला बच्चा। मैं इन दोनों में से किसको चुनता। मुझे बहुत चिंता हो रही थी। लेकिन फिलहाल मुझे झारखंड जाना जरूरी था। वहां मीरा अकेली थी उसे मेरी जरूरत थी।

Leave a Comment