शबाना आंटी को चोदने का सिलसिला भाग १

   07/02/2017

Shabana aunty ko chodne ka silsila part 1

प्रेषक : विकास …

हैल्लो दोस्तों, में मेरा नाम विकास है और ये बात आज से 1 साल पहले की है। मेरे सामने वाले घर में एक खूबसूरत आंटी रहती थी, वो 32 साल की थी और उसकी हाईट 5 फुट 4 इंच, लंबी और थोड़ी मोटी थी, उसकी चूचीयाँ बहुत ही मस्त थी। उसकी साईज़ करीब 34 जितनी थी, उसका फिगर साईज 34-30-36 था, वो बहुत ही सेक्सी दिखती थी। उसका नाम शबाना था, उसका पति 40 साल का था, उनके दो बच्चे भी थे।

फिर एक दिन सुबह जब में नहाने के बाद अपने रूम में आया और कपड़े बदलने लगा तो मैंने अपना टावल निकाल दिया और चड्डी पहनने लगा, तो अचानक से मेरी नज़र खिड़की पर पड़ी, तो मैंने देखा कि सामने वाली आंटी अपने बरामदे में खड़ी हुई थी और झाड़ू लगा रही थी। फिर उसकी और मेरी नज़र एक हुई, तो उसने मुझे अंडरवेयर पहनते हुए देखा, तो में एकदम से शरमा गया और वहाँ से दूर हो गया। फिर मैंने फटाफट से अपने कपड़े पहने और बाहर चला गया। फिर जब में वापस घर आया तो वो आंटी मेरे घर के पास खड़ी थी। फिर उसने मुझसे पूछा कि विकास जी कब आए? आप घर में अकेले बोर नहीं होते हो क्या? ऐसा कहकर वो हंसने लगी। में फिर से शरमा गया और कुछ नहीं बोला।

फिर दूसरे दिन सुबह में नहाकर बाहर निकला और अपने रूम में कपड़े पहनने गया, तो आज मैंने पहले खिड़की की तरफ देखा, तो मुझे आंटी नज़र नहीं आई इसलिए में आराम से अपना टावल निकालकर आराम से अपने कपड़े बदलता रहा। फिर अचानक से सामने वाली खिड़की में से आवाज़ आई, तो मेरी नजर उस पर पड़ी, तो मैंने देखा कि वो आंटी वहाँ खड़ी-खड़ी मुझे कपड़े बदलते हुए देख रही थी, लेकिन अबकी बार में नहीं शरमाया, लेकिन मुझे भी मज़ा आया। फिर दूसरे दिन जब में नहाकर बाहर निकला तो मैंने जानबूझ कर खिड़की खुली कर दी और सामने देखा तो वो आंटी बरामदे में नीचे झुककर झाडू लगा रही थी। अब मुझे उसके बूब्स की दरार बहुत साफ-साफ दिख रही थी। फिर उसने ऊपर देखा तो हमारी नज़र एक हुई, तो वो मेरे सामने हंस पड़ी, तो मेरी भी हिम्मत खुल गयी तो मैंने भी स्माइल दी। फिर वो वहाँ खड़ी-खड़ी झाड़ू लगाती रही और मुझे देखती रही।

फिर मैंने भी हिम्मत करके मेरा टावल निकाल दिया और मेरा लंड उसके सामने दिखा दिया। वो ये देखकर एकदम घबरा गयी और अंदर भाग गयी, तो में मन ही मन बहुत खुश हुआ। अब मुझे भी ये सब करना अच्छा लगने लगा था। फिर में अपने रूम में गया और बैठकर अपनी किताब पढ़ने लगा, तो एकदम से मेरी नज़र सामने वाले मकान के कम्पाउंड में पड़ी तो मैंने देखा कि वो आंटी बाथरूम में कपड़े धो रही थी और उन्होंने अपनी साड़ी को घुटने तक ऊपर चढ़ा रखी थी, उसके पैर बहुत ही सुंदर और सेक्सी दिख रहे थे। फिर में अपनी पढ़ाई छोड़कर उसको देखने लगा। अब वो आंटी कपड़े धोते-धोते पूरी भीग गयी थी और उसका हाथ जब ऊँचा नीचा होता था तो उसकी चूचीयाँ मोहक अदा में हिल रही थी, जिसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था। फिर आंटी कपड़े धोने के बाद अपने बाथरूम का दरवाजा खुला रखकर नहाने लगी और बाद में उसने अपनी साड़ी निकाल दी और अपना पेटीकोट और ब्लाउज पहनकर नहाने लगी और नहाते नहाते उसने अपना पेटीकोट अपनी जाँघ तक ऊपर कर दिया।

अब मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गयी थी। में ज़िंदगी में पहली बार ये जलवा देख रहा था। अब मेरा लंड मेरे काबू में नहीं रह रहा था और अब में आंटी को पूरी तरह से नंगा देखना चाहता था और ये आशा भी मेरी जल्दी ही पूरी होने वाली थी। फिर आंटी ने धीरे से अपना ब्लाउज भी निकाल दिया और उसे भी धोने लगी, तो तब मैंने उसके बड़े-बड़े बूब्स को देखा, तो मेरी आँखे बड़ी हो गयी और मेरे मुँह से पानी टपकने लगा। अब आंटी बहुत ही सेक्सी दिख रही थी। फिर उसने अपने शरीर पर साबुन लगाना शुरू किया। अब मर जाने की बारी मेरी थी, अब उसके बूब्स देखकर तो मेरा जी मेरे गले में अटक गया, आहह, आहह क्या नज़ारा था? मैंने आज तक मेरी ज़िंदगी में इससे अच्छा नज़ारा कभी नहीं देखा था। अब मेरा लंड मेरे काबू में नहीं था और अब वो मेरी पेंट की चैन तोड़कर बाहर आने के लिए उछल रहा था, तो मैंने भी जल्दी ही मेरे लंड की इच्छा पूरी की और मेरे लंड को पेंट की चैन खोलकर बाहर खुली हवा में छोड़ दिया और आंटी को देखकर मुठ मारना चालू कर दिया।

अब आंटी नहा चुकी थी तो वो खड़ी हो गयी और अपना शरीर टावल से पोछने लगी। फिर अंत में उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया और तुरंत टावल लपेट दिया, लेकिन में उसके बीच में आंटी की चूत की एक झलक पा चुका था और अब मेरी मुठ मारने की स्पीड तेज हो गयी थी और अंत में मैंने अपना पूरा माल बाहर निकाल दिया। अब मेरे दिमाग में आंटी को चोदने के ही विचार आने लगे थे और अब में किसी भी तरीके से आंटी को चोदने की तैयारी करने लगा था। फिर अगले हफ्ते मैंने अपनी पूरी खिड़की खोल दी और आंटी को बरामदे में आने की राह देखने लगा। फिर जब आंटी बरामदे में झाड़ू लगाने के लिए आई तो मैंने उसे स्माइल दी और धीरे से मेरा टावल निकाल दिया और मेरे लंड को हवा में खुला छोड़ दिया। मेरा लम्बे और मोटे लंड को हवा में लहराते हुए देखकर आंटी के तो होश ही उड़ गये और वो मेरे लंड को देखती ही रह गयी।

(TBC)…

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