मुझे उठा उठा कर चोदा

   04/04/2019

Mujhe utha utha kar choda:

Antarvasna, hindi sex story आखिरकार वह खुशी का दिन आ ही गया जिसका मैं इंतजार कर रही थी मेरी छोटी बहन गुनगुन जो कि मुझे बहुत प्यारी है उसकी शादी तय हो चुकी थी उसे जो लड़का देखने आया था वह लंबे कद काठी का और एक अच्छे पद पर नौकरी करने वाला है उसका नाम अनिल है। अनिल बहुत शांत स्वभाव के हैं मुझे तो अनिल को देखते ही लग गया था कि वह गुनगुन से शादी के लिए मान जाएगा अब गुनगुन की सगाई हो चुकी थी और मैं गुनगुन की शादी में कोई भी कमी नहीं रहने देना चाहती थी। मेरी बहन गुनगुन मुझे कहने लगी दीदी आपसे एक बात पूछूं मैंने गुनगुन से कहा गुनगुन पूछो ना तुम्हें क्या पूछना है। वह मुझे कहने लगी देखो दीदी आप मुझसे बड़ी हो और मैं आपकी छोटी बहन हूं आपने कभी भी मुझे कोई कमी नहीं होने दी और ना ही किसी कमी का कभी एहसास मुझे होने दिया लेकिन आपने अपने जीवन में इतना समर्पण किया है।

मैं हमेशा सोचती हूं कि आपके त्याग का मैं कर्ज़ कैसे चुका पाऊंगी आपका तो मुझ पर बचपन से ही एहसान रहा है। मैंने गुनगुन से कहा गुनगुन तुम मेरी बहन हो और यदि मैंने तुम्हारे लिए कुछ किया है तो वह मेरा फर्ज बनता है मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूं। जब गुनगुन ने मुझसे दूसरी बात कही तो मुझे लगा उसका मेरे पास कोई जवाब ही नहीं है गुनगुन मुझे कहने लगी दीदी अब आप भी अपने लिए कोई लड़का देख लो और शादी कर लो। मैंने गुनगुन से कहा देखो गुनगुन मैंने इस बारे में अभी तक सोचा नहीं है और मुझे नहीं लगता कि मैं कभी शादी करूंगी मेरा स्वभाव तो तुम्हें मालूम नहीं है ना मैं किसी की भी बात नहीं सुन पाती हूं यदि तुम ऐसा मुझसे पूछ रही हो तो यह पूछना व्यर्थ है मैं कभी शादी नहीं करने वाली। मैंने गुनगुन से कहा अब तुम यह सब बात छोड़ो और यह बताओ तुम अपनी शादी के लिए क्या तैयारियां कर रही हो तुम शादी में क्या पहने वाली हो। गुनगुन और मैं बात कर रहे थे तभी मेरी मां भी आई और कहने लगी आज दोनों बहने ना जाने क्या बात कर रही हैं मेरी मां मुझे कहने लगी आयशा तुम मुझे तुम्हारे मामा के घर तक छोड़ दोगी मैंने मां से कहा हां मां मैं आपको छोड़ देती हूं। घर की सारी जिम्मेदारियां मुझ पर ही है क्योंकि मेरे पिता जी का देहांत हो चुका था और मैंने कभी भी किसी चीज की कमी घर में होने नहीं दी शायद इसी वजह से मुझे कभी अपने बारे में सोचने का समय नहीं मिला।

मैंने गुनगुन को बचपन से देखा है वह बहुत ही अच्छी है मैं हमेशा दिल से चाहती हूं कि वह खुश रहे और अनिल को देखकर तो यही लगता है कि वह उसे खुश रखेगा अनिल उसे किसी भी प्रकार की कमी नहीं होने देगा। मेरी मां अंदर कमरे से आवाज देने लगी आयशा मैं तैयार हो चुकी हूं तुम भी जल्दी से तैयार हो जाओ मैंने आवाज़ देते हुए कहा मां बस मुझे तो 5 मिनट लगेंगे मैं मामा के घर रुकने वाली नहीं हूं मैं सीधा ही वापस आ जाऊंगी। मेरी मां कहने लगी ठीक है तुम वापस आ जाना फिर मैं अपनी मां को अपने मामा जी के घर पर छोड़ने के लिए चली गई मैं ज्यादा देर मामा जी के घर पर नहीं रुकी और वापस आ गई। जब मैं वापस आई तो मैंने गुनगुन को देखा वह अपने बेडरूम में थी उसने अपने कानों में हेडफोन लगाए हुए थे उसे शायद पता ही नहीं चला कि मैं कब घर में आ गई। मैंने गुनगुन को कहा तुम फोन पर किससे बात कर रही हो। उसने मुझे इशारों में कहां मैं अनिल से बात कर रही हूँ मैंने गुनगुन से कहा ठीक है तुम बात करो मैं भी कुछ देर आराम कर लेती हूं मैं दूसरे कमरे में आराम करने के लिए चली गई। गर्मी इतनी ज्यादा थी कि मुझे रूम का एसी ऑन करना पड़ा जब मैं सोने की कोशिश कर रही थी तो मुझे नींद ही नहीं आ रही थी मेरी आंखों के सामने ना जाने अजीब सा अंधेरा छा जाता और मेरी आंखें खुल जाती। मुझे कुछ समझ नहीं आया आखिर ऐसा क्यों हो रहा है मुझे लगा शायद मैं सिर्फ गुनगुन के बारे में ही सोच रही हूं, सोचते सोचते ना जाने मुझे कब नींद आई मुझे मालूम नहीं पड़ा। गुनगुन मुझे उठाने के लिए आई और कहने लगी दीदी आप तो इतनी गहरी नींद में सोई हो आपको तो मालूम ही नहीं पड़ रहा मैंने गुनगुन से कहा तुम फोन पर बात कर रही थी तो मैंने सोचा सो जाती हूं।

गुनगुन कहने लगी मैंने आपके लिए चाय बनाई है आप चाय पी लीजिए मैंने चाय पी और उसके बाद मैं कुछ देर के लिए लेट गई शाम के वक्त हम बैठ कर बात कर रहे थे। मैंने गुनगुन से कहा तुम अपनी शादी में कौन सा लहंगा लेने वाली हो वह कहने लगी दीदी मैंने एक जगह लहंगा देखा था लेकिन वह काफी महंगा है। मैंने गुनगुन से कहा कोई बात नहीं यदि वह महंगा है तो उसे हम ले लेंगे तुम पैसे की चिंता मत करो। मैं नहीं चाहती थी कि गुनगुन की शादी में उसे पापा की कमी खले  मैंने ही सारी जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर ले लिया था। मैंने गुनगुन से कहा तुमने वह लहंगा कहां देखा तो वह कहने लगी दीदी मैं आपको कल वहां ले चलूंगी कल हम लोग चलते हैं मैंने उसे कहा ठीक है कल तुम मुझे वहां लेकर चलना जहां तुमने वह लहंगा देखा था। अगले दिन वह मुझे एक कपड़ों के शोरूम में ले गई जैसे हम लोग अंदर गए तो हमारे पास तीन चार लोग आये और कहने लगे मैडम आपको क्या चाहिए। मैं उनके चेहरे पर देखती रही मुझे ऐसा लगा अभी तो हम दुकान के अंदर आए ही थे कि यह लोग हमसे इतना ज्यादा चिपकने लगे मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे शहद पर मधुमक्खी भिनभिनाती है वैसे ही वह लोग भी हमारे आस पास मंडरा रहे थे। आखिरकार गुनगुन के लिए मैंने वह लहंगा ले लिया उसके चेहरे पर मुस्कान देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और मैं खुश थी कि चलो गुनगुन के लिए मैं वह लहंगा ले पाई।

गुनगुन की शादी अब नजदीक आ चुकी थी और काम बहुत ज्यादा था मैं उसकी शादी का हॉल देखने गई जहां पर हम लोगों ने बुकिंग की हुई थी वहां का अरेंजमेंट मैंने देखा तो सब कुछ ठीक था। मुझे अपने लिए समय ही नहीं मिल पा रहा था मैं तैयार भी नहीं हो पा रही थी लेकिन मुझे मेरी मां ने कहा बेटा तुम भी तैयार हो जाओ मैंने मां से कहा मां मैं बस अभी तैयार हो जाती हूं। गुनगुन की शादी की सारी तैयारियां हो चुकी थी गुनगुन की बारात बैंक्विट हॉल के गेट पर आ चुकी थी और सब लोग बहुत खुशी से नाच झूम रहे थे मैं सिर्फ अपनी बहन गुनगुन के चेहरे की तरफ देख रही थी। सब कुछ इतना जल्दी में हुआ कि मालूम ही नहीं पड़ा कब शादी खत्म हो गई और गुनगुन की विदाई हो गई घर में कुछ दिनों तक तो बहुत सन्नाटा सा था मुझे भी कुछ ठीक नहीं लग रहा था। गुनगुन से जब मेरी फोन पर बात होती तो वह कहती कि मैं बहुत खुश हूं और अनिल मेरा बहुत ध्यान रखते हैं। घर में बहुत ही सन्नाटा सा था लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा मैं और मेरी मां ही घर मे रह गई थी। जब भी गुनगुन घर आती तो घर में बड़ी रौनक होती और उस दिन मेरी मां के चेहरे पर मुस्कान रहती थी। अनिल का कोई दोस्त है जिनका नाम आदर्श है उन्हें में ना जाने क्यों अच्छी लगी और वह मुझ से नजदीकीया बढ़ाने की कोशिश करने लगे मैंने उन्हें साफ तौर पर इंकार कर दिया लेकिन उसके बावजूद भी वह मुझसे बात करने की कोशिश करते रहे मैं उनका फोन तक नहीं उठाती थी।

मैंने यह बात गुनगुन को भी बताई तो गुनगुन कहने लगी इसमें बुरा क्या है आदर्श एक बहुत अच्छे इंसान हैं आप उनसे मिलेंगी और उनसे बात करेंगी तो आपको भी अच्छा लगेगा। मैं जब उनसे पहली बार मिली तो मुझे उनसे बात करना अच्छा लगा आदर्श जी के साथ समय बिताना भी अच्छा लगा। धीरे धीरे हम दोनों की मुलाकात होती चली गई और यह मुलाकात और भी आगे बढ़ गई। एक दिन वह मुझे कहने लगे गुनगुन आपकी बहुत तारीफ करती है और कहती है कि आयशा दीदी ने अपने जीवन में बहुत ही त्याग किया है। इस बात से आर्दश बहुत प्रभावित होने लगे थे। हम दोनो की बात इतनी आगे बढ जाएगी मैने कभी सोचा नहीं था हम दोनों ने एक दूसरे को अपनाने के बारे में सोच लिया था। मै उस दिन अपने आप पर काबू ना कर सका और ना ही आदर्श अपने आपको रोक सके जब उन्होंने मुझे अपनी बाहों में लिया तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं सिर्फ उनकी बाहों में रहूं। मैंने आर्दश से कहा आप मेरे होठों को किस कीजिए ना उन्होंने भी मेरे गुलाबी होठों का रसपान करना शुरू किया काफी देर तक वह मेरे होठों को किस करते रहे। उन्होने मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा पहली बार ही किसी ने मेरे स्तनों को हाथ लगाया था और कितने समय तक मैं किसी के बारे में भी यह सब नहीं सोचती थी। जब उन्होंने मेरी योनि को चाटकर मेरी योनि से पानी निकाला तो।

मैंने आर्दश के लंड को पकड़ते हुए अपनी चूत पर सटा दिया उन्होंने भी धक्का देते हुए मेरी योनि के अंदर अपने मोटे लंड को धक्के मारना शुरू किया। मैं तो इस बात से हैरान थी कि मेरी अब तक सील नहीं टूटी है कितने वर्षों बाद किसी ने मेरी सील तोड़ी थी। मैं बड़े ही अच्छे से आदर्श का साथ दे रही थी लेकिन हम दोनों के अंदर से जो गर्मी निकलती उससे हम दोनों ही अपने आपको ना रोक सके। जैसे ही आर्दश का वीर्य पतन होने वाला था तो मुझे बहुत अच्छा लगा और आर्दश ने मेरे स्तनो के ऊपर अपने वीर्य को गिरा दिया वह मुझे कहने लगे तुम्हें अच्छा तो लगा? मैंने उन्हें कहा इतने वर्षों बाद मुझे बहुत अच्छा लगा और ऐसा लगा जैसे कि मैं अपना जीवन जी पाई हूं। वह मुझे कहने लगे तुमने आगे क्या सोचा है मैंने उन्हें कहा अभी आप मुझे कुछ समय दीजिए मै अभी चलती हूं।

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