मेरा लंड नीलिमा की चूत में

   19/03/2020

Antarvasna, hindi sex story:

Mera lund nilima ki chut me मैं घर पर पहुंचा ही था मां ने मुझे कहा कि बेटा मेरी तबीयत बहुत ज्यादा खराब है। मैंने मां को कहा कि मां मैं आपके लिए दवा ले आता हूं लेकिन मां की तबीयत काफी ज्यादा खराब थी इसलिए मुझे उन्हें नजदीकी अस्पताल लेकर जाना पड़ा और मैं उन्हें हॉस्पिटल लेकर चला गया। डॉक्टर ने कुछ दवा दी और मां को आराम करने के लिए कहा उसके बाद मैं उन्हें घर ले आया था। जब मैं उन्हें घर लेकर आया तो मां मुझे कहने लगी कि शोभित बेटा तुम मेरा कितना ध्यान रखते हो मैंने मां को कहा कि मां अगर मैं आपका ध्यान नहीं रखूंगा तो आपका ध्यान कौन रखेगा। भैया की शादी हो जाने के बाद वह अलग रहने लगे थे इसलिए भैया से उम्मीद करना अब शायद बेकार ही था। वह पूरी तरीके से बदल चुके थे और मां को भी यह बात अच्छे से मालूम थी कि गौतम भैया पूरी तरीके से बन चुके हैं क्योकि वह मिलने के लिए भी घर पर नहीं आया करते थे।

हम दोनों भाइयों की जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन जब से भैया की शादी हुई है उसके बाद से वह पूरी तरीके से बदल चुके हैं और वह शायद ही पहले की तरह हो पाएंगे। हमे उनसे यह उम्मीद नहीं थी की वह शादी के बाद इतने बदल जाएंगे। पापा के देहांत के बाद मां ने ही हम दोनों को देखभाल की और उन्होंने हमें किसी भी चीज की कभी कोई कमी महसूस नहीं होने दी। हम दोनों भाइयों की परवरिश में मां ने कभी कोई भी कमी नहीं रहने दी। हमारे घर में सब कुछ ठीक होने लगा था लेकिन बस भैया के अलग चले जाने के बाद मां बहुत ज्यादा दुखी हो गई और वह पूरी तरीके से टूट भी चुकी है। मां को भैया से बहुत ज्यादा उम्मीदें थी लेकिन भैया मां की उम्मीदों पर बिल्कुल भी खरे नहीं उतरे। मेरी जिंदगी भी अच्छे से चल रही है मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता हूं और पिछले दो वर्षों से मैं उस कंपनी में जॉब कर रहा हूं।

हमारे ऑफिस में ही नीलिमा जॉब करती है नीलिमा मुझे बहुत ही पसंद है और नीलिमा के साथ मेरी काफी अच्छी बातचीत भी है लेकिन हम दोनों एक दूसरे को जब भी देखते हैं तो ना जाने क्यों हम दोनों एक दूसरे से कम बातें किया करते हैं। हालांकि जब भी मुझे नीलिमा से कोई काम होता है तो मैं जरूर उससे बात कर लिया करता हूं परंतु नीलिमा और मुझे भी कई बार लगता है कि हम दोनों एक दूसरे से शायद अपने दिल की बात कभी कह ही नहीं पाते हैं। मुझे यह बात अच्छे से पता है कि नीलिमा भी मुझे पसंद करती है लेकिन मैंने कभी नीलिमा को अपने दिल की बात नहीं कही और ना ही उसने मुझसे अपने दिल की बात कही। हम दोनों बस एक दूसरे को जब भी देखते तो एक दूसरे को देख कर हम लोग मुस्कुरा लिया करते। एक दिन मैं और नीलिमा साथ में बैठे हुए थे उस दिन हम दोनों आपस में बातें कर रहे थे मैंने नीलिमा से कहा कि क्या तुम आज शाम को मेरे साथ डिनर पर चलोगी।

उस दिन मेरे अंदर ना जाने कहां से इतनी हिम्मत हो गई और मैंने नीलिमा को अपने साथ डिनर पर चलने के लिए कहा तो नीलिमा भी मेरी बात मान गई। वह मुझे मना ना कर सकी और वह मेरे साथ डिनर पर आ गई। उस रात जब हम दोनों ने साथ में डिनर किया तो कहीं ना कहीं हम दोनों की बातें भी खुलकर होने लगी और हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगा था जिस तरीके से हम दोनों ने एक दूसरे से बातें की। मुझे इस बात की खुशी थी कि मैं नीलिमा को अपने दिल की बात कह पाया और नीलिमा ने मेरे दिल की बात को स्वीकार कर लिया है मैं बहुत खुश हूं। मैं नीलिमा को उस दिन प्रपोज कर चुका था नीलिमा बहुत ही ज्यादा खुश थी क्योंकि नीलिमा भी तो मुझसे पहले से ही प्यार करती थी। हम दोनों का रिलेशन चलने लगा था हम दोनों का रिलेशन अच्छे से चल रहा था और मैं चाहता था कि नीलिमा को मैं एक बार मां से मिलवा दूँ।

मैंने एक दिन नीलिमा को घर पर आने के लिए कहा और जब मैंने नीलिमा को उस दिन मां से मिलवाया तो नीलिमा भी बड़ी खुश थी और वह मां से मिलकर बहुत ही ज्यादा खुश थी। मां भी नीलिमा से मिलकर बहुत खुश थी और वह मेरी पसंद पर बहुत ही ज्यादा खुशी थी कि मैं नीलिमा को पसंद करता हूं। मैंने मां को नीलिमा के बारे में बता दिया था मां चाहती थी कि मैं और नीलिमा अपना घर बसा ले और हम दोनों अपनी आगे की जिंदगी अच्छे से साथ मे जिये। नीलिमा को भी इस बात से कोई एतराज नहीं था और उसके परिवार वालों ने भी हम दोनों के रिश्ते को स्वीकार कर लिया था। मैं बहुत ज्यादा खुश था क्योंकि जिस लड़की से मैं प्यार किया करता था उससे मैं अब शादी करने जा रहा था मेरे लिए शायद इससे बड़ी खुशी की बात और कुछ भी नहीं हो सकती थी। नीलिमा और मैं अपनी शादी को खास बनाना चाहते थे इसलिए मैंने अपनी शादी में अपने सारे दोस्तों को बुलाया था। नीलिमा चाहती थी कि हम दोनों की शादी बड़े ही धूमधाम से हो इसलिए मैंने शादी में कोई भी कमी नहीं रहने दी। नीलिमा के पिताजी ने भी उसकी शादी में कोई कमी रहने दी क्योंकि नीलिमा उनकी इकलौती लड़की है और उन्होंने नीलिमा की शादी में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं की।

हम दोनों की शादी में हमारे जितने भी रिश्तेदार आए हुए थे वह सब बड़े ही खुश थे और हम लोग भी बहुत ज्यादा खुश थे। हम दोनों की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई और हमारे दोस्तों ने हमें हमारी शादी की शुभकामनाएं दी उसके बाद हम दोनों ने अपने आगे की जिंदगी शुरू करने का फैसला कर लिया था। हम दोनों अपनी शादी से बड़े ही खुश थे शादी हो जाने के बाद हम दोनों एक हो चुके हैं। मेरे लिए बहुत ही खुशी का दिन था और नीलिमा भी बड़ी खुश थी। उस रात हम दोनों साथ में बैठे हुए थे और एक दूसरे से बातें कर रहे थे। हम लोग की कुछ पुरानी बातें ताजा होने लगी। जब मैं नीलिमा से बातें कर रहा था मैंने नीलिमा को कहा जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था मैं तुमसे बात करने की हिम्मत नहीं कर पाया था लेकिन आज देखो तुम मेरी पत्नी बन चुकी हो। नीलिमा भी इस बात पर बड़ी खुश थी वह मेरे गले मिलकर मुझे कहने लगी शोभित मैंने भी कभी सोचा नहीं था तुम से मेरी शादी हो जाएगी लेकिन देखो आज हम दोनों की शादी हो गई है। अब हम दोनों ने कुछ देर तक बातें की फिर मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया वह मेरी बाहों में आ चुकी थी।

मेरा हाथ जब नीलिमा के स्तनों पर लगने लगा मै गरम होने लगा था वह भी गरम होने लगी थी। मैं नीलिमा के स्तनों को दबाने लगा था मुझे बहुत ही मजा आने लगा था जब मै उसके स्तनो को दबाता। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ खूब जमकर मजा लेने के बारे में सोच लिया था। मैं उसके होठों को चूम रहा था और मुझे आशा के गुलाबी होंठों का रसपान कर के मजा आ रहा था। नीलिमा को भी मजा आने लगा था और मुझे भी मजा आ रहा था जिस तरीके से वह मेरे होठों को चूम रही थी। मैंने अब उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो नीलिमा भी गरम हो गई और वह अपने कपड़े उतारने लगी थी। वह अब अपने कपड़े उतार चुकी थी मैंने उसकी ब्रा खोली और उसके गोरे स्तनों की तरफ देखा मैं अपने आपको रोक नहीं सका मैं उसके स्तनों का रसपान करने लगा था। मैं उसके निप्पल को जिस तरह से चूस रहा था उससे वह मुझे कहने लगी तुम ऐसे ही मेरे स्तनो को चूसते रहो। मैं उसके गोरे हो स्तनों को चूमता जा रहा था और उसकी चूत से पानी निकलता जा रहा था उसको बड़ा मजा आने लगा था। अब मुझे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था जिस तरीके से वह मेरा साथ दे रही थी और अपने पैरो को आपस मे मिलाने लगी थी।

मैंने नीलिमा की जींस को नीचे उतारने का फैसला किया और उसकी जींस को नीचे उतार फेंका। जब मैंने उसकी पैंटी को नीचे उतारा तो मुझे उसकी गोरी चूत दिख अच्छा लग रहा था उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। उसकी गोरी चूत देख मेरा मन उसकी चूत चाटने का हुआ और मै उसकी चूत को चाटने लगा था। काफी देर तक उसकी चूत को चाटने के बाद मैंने उसकी योनि में लंड को लगाया और उसकी चूत के अंदर लंड को डालने लगा। उसकी टाइट चूत मे मेरा लंड जा ही नहीं रहा था मैंने अब उसके दोनो पैरों को खोल लिया था। मैंने जब उसके पैरों को खोल तो मेरा लंड नीलिमा की चूत मे जाने लगा था अब मैंने उसे चोदना शुरु कर दिया था वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक चला गया था।

मुझे मजा आने लगा था अब हम दोनों एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स के मजे लेने लगे थे और नीलिमा की योनि से खून निकल रहा था। मुझे उसे चोदने में मजा आ रहा था। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स किया। काफी देर तक हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स के मजे लिए जब मेरा वीर्य पतन नीलिमा की चूत मे हो गया तो हमने कपड़े पहन लिए। फिर हम दोनो लेटे रहे और बाते करने लगे थे मुझे नीलिमा की चूत का मजा लेकर अच्छा लगा। वह मुझे कहने लगी कही कुछ होगा तो नहीं। मैने उसे कहा कुछ नही होगा तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं है। अब वह भी खुश थी और मै भी खुश था। नीलिमा ने मुझे कहा मै चलती हूं उसके बाद वह चली गई थी। हम दोनो के बीच अक्सर सेक्स संबध बन ही जाता है और वह भी बडी खुश है जिस तरह हमारे बीच सेक्स संबध बनते है।

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