घुस गया बस थोडा सा रह गया

   23/06/2019

Antarvasna, sex stories in hindi:

Ghus gaya bas thoda sa rah gaya मैं दौड़ता हुआ अपने कमरे की तरफ गया और मैंने जल्दी से अपना बटवा अपनी अलमारी से निकाला और अपनी जेब में रख लिया और मैं अपने पापा के साथ चला गया। पापा के साथ ही मैं उनका प्रॉपर्टी का काम संभालता हूं और मुझे काम संभालते हुए करीबन दो वर्ष हो चुके हैं दो वर्ष पता नहीं कैसे बीत गए। पापा बड़े ही डिसिप्लिन वाले है वह बिल्कुल भी किसी चीज को इधर से उधर पसंद नहीं करते उन्हें हर चीज बिल्कुल सही समय पर और सही वक्त पर चाहिए। पापा उस इंसान को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते जो कि उन्हें समय देकर उन्हें इंतजार करवाता है और कई बार इस वजह से हमारी कई डील भी कैंसिल हो चुकी है लेकिन पापा को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। पापा के आपने कुछ उसूल है जिन्हें पापा ने अपने जीवन में उतारा हुआ है पापा के साथ मुझे काम करने में पहले तो बहुत ही ज्यादा परेशानी हुई क्योंकि मैं पापा के साथ बिल्कुल भी अपने आप को ढाल नहीं पा रहा था लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ-साथ मैं पापा को समझने लगा और पापा की यही आदत अब मुझे अच्छी लगने लगी थी और कहीं ना कहीं मैंने भी पापा की आदतों को अपना लिया था।

मेरे दोस्त गौतम का फोन मुझे आया और वह कहने लगा मुझे तुमसे मिलना था तो मैंने गौतम से कहा ठीक है गौतम मैं तुम्हें मिलता हूं लेकिन मेरे पास आज तो समय नहीं हो पाएगा। वह मुझे कहने लगा कि मैं ही तुम्हें मिलने के लिए आ जाता हूं तुम मुझे बताओ मुझे तुम्हें मिलने के लिए कहां आना पड़ेगा। मैंने गौतम से कहा कि तुम मुझे मिलने के लिए मेरे ऑफिस में ही आ जाओ मैं ऑफिस में ही बैठा हुआ हूं गौतम कहने लगा ठीक है मैं तुम्हारे ऑफिस ही आ जाता हूं। गौतम मुझसे मिलने के लिए ऑफिस में ही आ गया जब वह मुझसे मिलने के लिए मेरे ऑफिस में आया तो मैंने गौतम से कहा हां गौतम कहो क्या बात थी तुम्हें मुझसे मिलना था। गौतम मुझे कहने लगा यार तुमसे मिलने के बारे में तो कई दिनों से सोच रहा था लेकिन समय ही कहां मिल पाता है। मैंने गौतम से कहा लेकिन तुम मुझे फोन तो कर सकते थे मैंने जब यह बात गौतम से कही तो वह मुझे कहने लगा मैं फोन तो तुम्हें करना चाहता था लेकिन मैंने सोचा कि तुम्हें बाद में ही इस बारे में बताऊंगा।

मैंने गौतम से कहा लेकिन क्या बात है तुम बताओ तो सही गौतम मुझे कहने लगा मनीषा ने किसी लड़के से सगाई कर ली है, यह बात सुनकर तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मनीषा और मेरे बीच में पिछले 5 सालों से रिलेशन चल रहा था लेकिन कुछ दिनों से हमारे बीच में अनबन चल रही थी और गौतम उसके पड़ोस में ही रहता है। गौतम ने जब मुझे यह बात बताई तो कुछ देर तक तो मैं चुप रहा लेकिन जब मैंने गौतम से कहा कि तुम्हें यह बात कहां से मालूम पड़ी तो वह मुझे कहने लगा कि मुझे यह बात मनीषा की बहन ने बताई थी। मेरा दिल अब टूट चुका था मुझे कुछ समझ नहीं आया कि मनीषा ने ऐसा कदम आखिरकार क्यों उठाया क्योंकि मैंने मनीषा को कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होने दी और मैं मनीषा से प्यार भी करता था लेकिन कुछ समय से हम दोनों के बीच कुछ ज्यादा ही झगड़े होने लगे थे जिस वजह से हम दोनों थोड़ा परेशान जरूर थे लेकिन मनीषा ने यह बहुत गलत किया। गौतम ने मुझे जब यह बात बताई तो मैंने उससे कहा लेकिन अब तो कोई फायदा ही नहीं है गौतम मुझे कहने लगा तुम मनीषा से बात तो करो। मैंने गौतम से कहा लेकिन यार हम दोनों का बात करना मुश्किल ही है क्योंकि तुम्हें मालूम है ना कि मनीषा का नेचर कैसा है यदि उसने एक बार शादी करने के बारे में अपना मन बना लिया है तो उसका फैसला अब कोई भी नहीं बदल सकता। मैंने गौतम से कहा मैं तुम्हें धन्यवाद कहना चाहता हूं कि तुमने मुझे कम से कम इस बारे में बता दो दिया। गौतम मुझे कहने लगा यार तुम कैसी बात कर रहे हो तुम्हारा दिमाग तो सही है तुम क्यों नहीं मनीषा से बात करते तुम मनीषा से इतना प्यार करते हो और कैसे इतनी आसानी से तुम उसे किसी और का होने दोगे।

मैंने गौतम से कहा देखो गौतम अब इस बारे में सोच कर कोई भी फायदा नहीं है हम लोग इस बारे में बात ना करें तो ज्यादा ठीक रहेगा। गौतम भी थोड़ी देर बाद चला गया लेकिन मैं यही सोचता रहा कि मनीषा ने यह बहुत गलत किया लेकिन इसमें मनीषा की भी गलती थी या नहीं यह तो मुझे नहीं मालूम था। मनीषा मेरी जिंदगी से बहुत दूर जा चुकी थी मैंने भी उसे फोन करना बंद कर दिया था और मैं अपने काम में बिजी था क्योंकि मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि अब मैं मनीषा से किसी भी प्रकार से संपर्क में रहूं और ना हीं मैं उससे कुछ बात करूं। मनीषा मुझसे दूर हो चुकी थी लेकिन मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्या किया जाए जिससे कि सब कुछ मेरी जिंदगी में सामान्य हो जाए। मुझे किसी सहारे की जरूरत थी मुझे किसी की तो जरूरत थी जो कि मुझे समझ सके और इसलिए मैंने फिलहाल तो अपने दोस्तों का सहारा लिया। मैं अपने आप को ज्यादा से ज्यादा मैं बिजी रखने लगा लेकिन यह भला कितने दिनों तक चलता मैं अंदर ही अंदर घुट रहा था और शायद मेरे काम में भी अब यह साफ नजर आने लगा था। मेरे पिता जी कहने लगे कि बेटा आज कल तुम्हारा मन काम पर बिल्कुल भी नहीं लगता है मैंने पिता जी से कहा नहीं ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं है मैं तो पूरी मेहनत के साथ काम कर रहा हूं। पापा कहने लगे कि बेटा देखो यदि कोई परेशानी है तो तुम मुझसे कह सकते हो मैंने पापा से कहा नहीं पापा कोई भी परेशानी नहीं है सब कुछ ठीक है आप बेवजह परेशान ना होइए।

मैं बहुत परेशान था लेकिन फिर भी अपने पापा के साथ मै ऐसे काम किया करता मैंने पापा को कभी इस बात का पता नहीं चलने दिया और ना ही मैं उन्हें इस बात का पता चलने देना चाहता था हालांकि मेरे निजी जीवन में इस बात से बहुत असर पड़ने लगा था क्योंकि मनीषा मेरे जीवन में मायने रखती थी। अब वह मेरे जीवन से तो दूर जा चुकी थी लेकिन उसके जाने के कुछ समय बाद मेरे मामा के लड़के ने मेरी मुलाकात अपनी दोस्त से करवाई वह बिल्कुल बोल्ड और बिंदास थी उसका नाम सोनिया है। सोनिया को जैसे सेक्स से कोई परहेज नहीं थी जब मैं उससे मिला तो मुझे लगा कि सोनिया के जीवन में भी कितनी तकलीफ है लेकिन उसके बावजूद भी उसने कभी भी अपनी तकलीफों को अपने जीवन में आने नहीं दिया। वह  अपने जीवन को बड़े अच्छे से जी पा रही थी मैंने भी सोनिया के साथ अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने का फैसला कर लिया। मैंने उसे बताया कि मैं मनीषा से प्यार किया करता था तो वह मुझे कहने लगी अब तुम मनीषा के बारे में भूल जाओ। सोनिया और मैं अकेले थे उस दिन सोनिया ने मुझे अपने बदन की गर्मी दिखानी शुरू कर दी। वह मेरी गोद में आकर बैठे गई जब वह मेरी गोद में बैठी तो मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरा लंड एकदम तन कर खड़ा हो चुका था। मैंने उसे कहा सोनिया यह सब ठीक नहीं है वह मुझे कहने लगी मैं तुम्हारी परेशानी को दूर कर दूंगी। जब सोनिया ने मुझे कहा तो मैंने उसे कहा ठीक है तुम मेरी परेशानी को दूर कर दो सोनिया ने मेरी सारी परेशानी दूर कर दी। सोनिया ने जब अपने बदन को मेरे सामने दिखाया तो मैंने उसके स्तनों का रसपान करना शुरू कर दिया उसके स्तनों का रसपान करते हुए मुझे बहुत देर हो चुकी थी उसके नरम होठों को मुझे चुसकर मजा आ रहा था।

उसके होठों को मैं बड़े ही अच्छे से चूस रहा था और उसके स्तनों को भी चूसने में मुझे मजा आ रहा था मैंने जब उसकी योनि में लंड घुसाया तो वह मुझे कहने लगी कि तुमने तो मेरी योनि को फाड डाला। मैंने उसे कहा तुम थोड़ा सा अपने पैरो को खोल लो सोनिया कहने लगी लो मैंने अपने पैरों को खोल लिया सोनिया ने अपने पैरों को खोल लिया। मेरा लंड उसकी चूत के अंदर आसानी से जा रहा था वह मेरी आंखों में आंखें डाल कर देख रही थी और मुझे उसे चोदने में मजा आ रहा था। मैं उसकी चूत मारकर बहुत खुश था उसे मैंने पूरी तरीके से संतुष्ट कर दिया था वह बहुत ज्यादा खुश थी। वह मुझे कहने लगी कि मुझे ऐसे ही चोदते रहो सोनिया ने मेरी हालत खराब कर दी थी लेकिन मैं सब भूल कर उसे चोदने पर लगा हुआ था। जब मेरा वीर्य गिर गया तो वह मुझे कहने लगी तुम्हारा लंड तो पूरी तरीके से ढीला हो चुका है। मैंने उसे कहा तो तुम दोबारा से जगा दो उसने अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को ले लिया और वह बड़े ही अच्छे तरीके से मेरे लंड को मुंह के अंदर बाहर कर रही थी।

मेरा लंड दोबारा से वैसे ही तन कर खड़ा हो गया जैसा कि पहले था मेरा लंड तन कर खड़ा हो चुका था। सोनिया ने कहा तुम बैठे रहो सोनिया ने अपनी गांड को मेरी तरफ कर दिया। मेरा लंड तन कर खडा था मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था सोनिया ने जैसे ही अपनी गांड के अंदर मेरे लंड को लिया। जब मेरा लंड सोनिया की गांड के अंदर गया तो उसके मुंह से आवाज निकाली वह अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करती जा रही थी कुछ देर तक तो ऐसे ही वह करती रही लेकिन जब मेरा लंड आसानी से उसकी गांड के अंदर घुसने लगा तो वह मुझे कहने लगी मुझे तुम धक्के मारने शुरू कर दो। मैंने उसकी गांड के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू कर दिया मेरा लंड आसानी से उसकी गांड के अंदर बाहर हो रहा था। वह मेरा पूरा साथ दे रही थी मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था और उसकी गांड के मजे मैंने काफी देर तक लिए लेकिन सोनिया ने मुझे जिस प्रकार से खुश किया उससे मैं सब कुछ भूल कर आगे बढ़ चुका था। सोनिया मुझ पर मेहरबान थी वह मुझे खुश कर दिया करती थी।

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