चूत तुम्हारी मै ही लूंगा

   31/03/2019

Chut tumhari mai hi lunga:

Hindi sex stories, antarvasna मेरी पैदाइश जयपुर में हुई है जयपुर में ही मेरे पिताजी का लकड़ियों का कारखाना है हम लोग लकड़ियों का काम काफी समय से करते आ रहे हैं मेरे दादाजी भी यही काम करते थे। अब मेरे पिताजी चाहते हैं कि मैं भी यही काम करूं, हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी है और मेरी बहन की शादी भी अभी कुछ समय पहले ही हुई है। मै एक दिन कारखाने से घर लौट रहा था तो ऑटो से किसी ने मुझे हाथ दिया मैंने देखा तो ऑटो में आरोही बैठी हुई थी आरोही मुझे कहने लगी तुम कहां से आ रहे हो मैंने उससे कहा मैं तो कारखाने से आ रहा था तुम बताओ तुम कब लौटी। आरोही कहने लगी मैं कल रात को ही आई थी और अभी तो मैं अपनी मौसी से मिलने के लिए जा रही हूं तुम्हें मैं शाम के वक्त मिलती हूं मैंने आरोही से कहा ठीक है तुम मुझे शाम के वक्त मिलना।

आरोही मेरी बचपन की बहुत अच्छी दोस्त है लेकिन वह पढ़ाई करने के लिए विदेश चली गई थी वह अपने मामा मामी के पास ही रहती थी। उस शाम जब हम लोग मिले तो मुझे आरोही से मिलकर बहुत अच्छा लगा इतने साल बाद एक दूसरे से मिलना बड़ा ही अच्छा था। आरोही मुझे कहने लगी संजय तुम तो बिल्कुल भी बदले नहीं हो तुम पहले जैसे ही हो और दिखते भी वैसे ही हो मैंने आरोही से कहा लेकिन तुम तो बदल चुकी हो पहले तुम बड़ी ही सिंपल साधारण से कपड़ों में रहती थी अब तुम बहुत मॉडर्न हो चुकी हो। आरोही ने मुझसे कहा संजय समय के साथ थोड़ा बहुत तो बदलना पड़ता है मैंने उससे कहा चलो यह तो बहुत अच्छी बात है तुम बताओ क्या तुम्हारी पढ़ाई पूरी हो चुकी है। वह कहने लगी हां मेरी पढ़ाई तो पूरी हो चुकी है लेकिन अब मैं वहीं पर जॉब करने के बारे में सोच रही थी मैंने आरोही से कहा क्या तुम्हें जयपुर अब अच्छा नहीं लगता। आरोही मुझे कहने लगी नहीं संजय ऐसी बात नहीं है जयपुर मुझे बहुत अच्छा लगता है और जयपुर की यादें मेरे दिल से जुड़ी हुई हैं। मैंने आरोही से कहा क्या हम लोग साथ में कहीं घूमने के लिए चलें आरोही मुझे कहने लगी ठीक है तो फिर चलो।

antarvasnaहम दोनों अपनी पुरानी यादें ताजा करने लगे, एक बार आरोही और मैंने स्कूल से बंक मारा था तो उसी की बातें हम दोनों करने लगे। मैंने आरोही से कहा तुम्हें याद है ना जब हम लोगों ने स्कूल से बंक मारा था हम दोनों वहां से मूवी देखने के लिए चले गए थे और उस वक्त मूवी के टिकट हम लोगों को ब्लैक में लेना पड़ा था। आरोही मुझसे कहने लगी मुझे आज भी वह दिन याद है जब हम दोनों साथ में गए थे लेकिन उस वक्त बहुत अच्छा लगा था। मैंने आरोही से कहा बस यार अब तो याद ही रह गई हैं मैं तो पापा के काम में पूरी तरीके से बिजी हो चुका हूं और अपने लिए अब समय ही नहीं बचा है पुराने दोस्तों से भी अब मुलाकात नहीं हो पाती है लगता है कि वह लोग भी अपनी जिंदगी में बिजी हैं। आरोही मुझसे कहने लगी हां संजय तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो आजकल किसी के पास भी मिलने का समय नहीं है खैर तुम यह सब छोड़ो और यह बताओ हम लोग जहां पानीपुरी खाया करते थे क्या वहां पर अब भी वह चाचा रहते हैं। मैंने आरोही को बताया कि वह चाचा वहीं पर रहते हैं लेकिन अब उन्होंने अपनी दुकान ले ली है मैं जब भी उधर से आता हूं तो उनके वहां पर पानी पुरी खा लिया करता हूं। आरोही कहने लगी संजय क्या तुम मुझे वहां लेकर चल सकते हो मैंने आरोही से कहा ठीक है मैं तुम्हें लेकर चलता हूं। आरोही और मैं बाइक से ही वहां से चाचा के पास चले गए चाचा मुझे तो पहचानते ही थे उन्होंने आरोही को भी देखते ही पहचान लिया। वह कहने लगे अरे गुड़िया तुम तो बहुत बड़ी हो चुकी हो आरोही उनसे कहने लगी चाचा अब काफी वर्ष भी तो हो चुके हैं वह कहने लगे मैं तुम्हारे लिए अभी बढ़िया सी पानीपुरी लगा देता हूं तुम खुश हो जाओगे। जब उन्होंने वह पानी पुरी आरोही को दी तो वह बहुत खुश हो गई और कहने लगी चाचा आज भी आपके हाथों में वैसा ही जादू है जैसा पहले था, कसम से मजा आ गया आज तो।

उसके बाद मैं और आरोही वहां से वापस घर लौट आए आरोही मुझे कहने लगी काफी समय बाद बहुत अच्छा लगा विदेश में ना तो ऐसी पानी पूरी मिलती है और ना ही वहां पर चाचा के हाथ का स्वाद है। मैंने आरोही से कहा तो फिर तुम यही क्यों नहीं रह लेती वहां जाने की क्या जरूरत है आरोही मुझे कहने लगी संजय वहां पर अच्छी सैलरी मिलती है और लाइफ भी पूरी सेटल हो जाएगी इसीलिए मैं वहीं पर नौकरी करने के बारे में सोच रही हूं। मैंने आरोही से पूछा तुम वहां पर कब जाओगी तो आरोही कहने लगी मैं अभी कुछ समय तक तो घर पर ही रहने वाली हूं उसके बाद ही जाऊंगी, चलो अभी तो मैं घर चलती हूं कल तुम्हें फोन करती हूं कल हम लोग मुलाकात करते हैं। मैं भी घर चला आया घर आते काफी देरी हो चुकी थी इसलिए पिताजी पूछने लगे कि तुम कहां रह गए थे मैंने उन्हें बताया कि आरोही आई हुई थी तो मैं उसके साथ ही चला गया था। पिताजी ने कहा ठीक है बेटा तुम खाना खा लो कल सुबह तुम्हें मेरे साथ जल्दी चलना है मैंने भी रात का डिनर किया और मैं सो गया। अगले दिन मैं सुबह अपने पापा के साथ जल्दी चला गया क्योंकि कोई जरूरी काम था इसलिए मुझे सुबह जाना पड़ा दोपहर के बाद मुझे आरोही का फोन आया और वह मुझसे पूछने लगी तुम ने आज क्या सोचा है। मैंने आरोही से कहा यार अभी तो मैं अपने कारखाने में ही हूं लेकिन देखता हूं जब मैं फ्री हो जाऊंगा तो तुम्हें फोन करूंगा आरोही कहने लगी ठीक है जब तुम फ्री हो जाओ तो मुझे फोन करना। शाम के वक्त मैं करीब 6:00 बजे कारखाने से घर के लिए निकला उस वक्त मैंने आरोही को फोन कर दिया वह कहने लगी चलो कम से कम तुम फ्री तो हुए।

मैंने आरोही से कहा यार आज कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए हम लोग सुबह के वक्त चले गए मैं बस अभी ही फ्री हुआ हूं तो सोचा तुम्हें फोन कर लूं। आरोही कहने लगी मैं बस तैयार होकर आती हूं वह 15 मिनट बाद तैयार होकर हमारी कॉलोनी के गेट पर आ गई और जब वह कॉलोनी के गेट पर आई तो वह कहने लगी मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती थी। मैंने आरोही से कहा तुम आज मुझे क्या बताना चाहती हो वह मुझसे कहने लगी तुम पहले पार्क में चलो वहां बैठकर हम लोग बात करते हैं। हमारी कॉलोनी के अंदर ही एक पार्क है तो हम दोनों वहां पर चले गए हम दोनों साथ में बैठे हुए थे मैंने आरोही से पूछा तुम मुझसे कुछ बात कहने वाली थी। वह कहने लगी हां मुझे तुम्हें यह बताना था कि मैं जिस लड़के से प्यार करती थी उसने आज ही मुझे हां कहा है मैंने उससे कहा यह बात तो तुमने मुझे बताई ही नहीं। आरोही कहने लगी मैं काफी समय से उसके पीछे पड़ी हुई थी उसने मुझे हां नहीं कहा था लेकिन अब उसने मुझे हां कह दिया है तो मैं कुछ दिनों बाद ही चली जाऊंगी। मैंने उससे कहा तो क्या वह भी तुम्हारे साथ ही वहां रहता है वह कहने लगी हां वह मेरे साथ ही कॉलेज में था। ना जाने मुझे यह बात सुनकर क्यों थोड़ा बुरा लगा लेकिन फिर भी मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया और आरोही की पूरी बात सुनी। मैं जब उसके घर आया तो मुझे एहसास हुआ कि आरोही की यह बात मुझे बिल्कुल अच्छी नहीं लगी क्योंकि शायद मेरे दिल में भी उसके लिए कुछ था। इतने समय बाद जब वह मुझे मिली तो उसके साथ अच्छा समय बिताकर मुझे खुशी हो रही थी और उसके जाने का भी मुझे दुख हो रहा था।

वह मुझ पर पूरा भरोसा करती थी इसलिए एक दिन जब वह मुझसे मिलने के लिए मेरे घर पर आई तो उस दिन हम दोनों ही साथ में थे उस दिन मैंने पूरी तरीके से सोच लिया था कि मैं आरोही को प्रेग्नेंट कर कर ही छोडूंगा और उसे अपना बना लूंगा। आरोही मेरे साथ बैठी हुई थी जब वह खड़ी उठ कर जाने लगी तो मैंने उसे पकड़ लिया मेरा लंड उसकी गांड से टकराता तो उसे भी मजा आने लगता वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो जाती। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैं जब उसकी गांड से लंड को टकरा रहा था तो मुझे काफी अच्छा महसूस हो रहा था। जब मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी तुम यह क्या कर रहे हो लेकिन जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह शायद मेरे लंड को देखकर अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर सकी। जैसे ही मैंने उसके रसीले होठों को चूसना शुरू किया तो उसे भी मजा आने लगा वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में लो ना।

उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर रसपान करना शुरू किया और उसे बड़ा अच्छा लगने लगा मैंने उसकी सील पैक योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाया तो उसकी सील टूट चुकी थी। वह मुझे कहने लगी तुमने तो आज मुझे अपना बना लिया मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा किया और उसे धक्के देता रहा। वह मेरा साथ बड़े अच्छे से देती और उसकी सिसकियां जितनी तेज होती उतनी तेज मैं उसे धक्के देता जिससे कि मेरा वीर्य जब उसकी चूत मे गिरा तो हम दोनों के बीच सेक्स संबंध बनना अच्छा रहा। आरोही कुछ समय बाद प्रेग्नेंट हो गई वह कहने लगी संजय मैं क्या करूं तो मैंने उसे कहा अब तुम्हारे हाथ में ही फैसला है तुम बताओ तुम्हें क्या करना है। वह मुझे कहने लगी मुझे तो तुमसे शादी करनी है और वह मुझसे शादी करने के लिए तड़पने लगी मैंने उससे शादी के बात कहीं और कहां मैं तुमसे शादी कर लूंगा। कुछ समय बाद हम लोगों ने शादी करने का फैसला कर लिया मेरे घर वालों को भी इस बात से कोई आपत्ति ना थी।

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