उल्टा करके जोर से चोदो जानू

   11/05/2019

Antarvasna, hindi sex kahani:

Ulta karke jor se chodo jaanu आकाश मुझे कहता है कि चलो राजेश आज श्यामू हलवाई के यहां चले मैंने आकाश से कहा लेकिन वहां जाकर क्या करेंगे तो आकाश मुझे कहने लगा हम लोगों को वहां पर चलना चाहिए हमें वहां पर गए हुए काफी समय हो गया है जब से हम लोग वहां गए नहीं हैं चलो आज श्यामू हलवाई के यहां की जलेबियां खाते हैं। मैंने आकाश में कहा तो फिर चलो जब तुम्हारा आज इतना मन है तो चलो आज हम वहां चलते हैं। हम दोनों ही श्यामू हलवाई की दुकान पर चले गए और जब हम लोग वहां पर गए तो आकाश मुझे कहने लगा क्या तुम जलेबी के साथ दूध पी लोगे। मैंने आकाश से कहा हां क्यों नहीं चलो तुम दूध भी मंगवा दो, आकाश ने दूध मंगा लिया और साथ में गरमा गरम जलेबी भी आ गई।

हम दोनों ने जलेबी का आनंद लिया और हम दोनों जलेबी बड़े चाव से खा रहे थे जब हम लोग वहां से बाहर निकले तो सामने से दो तीन लड़कियां गुजर रही थी मैंने आकाश से पूछा यार यह लड़कियां क्या हमारे कॉलोनी में ही रहती है आकाश कहने लगा हां यह हमारी कॉलोनी में ही रहती हैं। मेरी नजर जब आकांशा पर गयी तो मैंने आकाश से कहा कि वह जो नीले सूट में है क्या वह भी हमारी कॉलोनी में रहती है तो आकाश कहने लगा हां वह भी हमारी कॉलोनी में ही रहती है। मैंने आकाश से कहा क्या उससे मेरी बात हो सकती है आकाश कहने लगा यार उससे तुम्हारी बात तो मैं करवा नहीं सकता लेकिन उसका नाम आकांक्षा है और तुम्हें मैं उसका नंबर दिलवा सकता हूं। मैंने आकाश से कहा क्या तुम पक्का मुझे उसका नंबर दिलवा सकते हो आकाश कहने लगा हां दोस्त मैं तुम्हें आकांक्षा का नंबर दिलवा दूंगा। आकाश की बातों में सच्चाई थी और कुछ ही दिनों बाद उसने मुझे आकांक्षा का नंबर दिलवा दिया जब मुझे आकांक्षा का नंबर मिला तो उससे मेरी फोन पर मैसेज के माध्यम से बात होने लगी। हम लोगों की मैसेज के माध्यम से बात हुआ करती थी और अभी तक मैं आकांक्षा को अपने बारे में कुछ भी सच नहीं बताया था क्योंकि मुझे डर था कि यदि मैंने उसे अपने बारे में सच बताया तो कहीं वह मुझसे बात करना ना छोड़ दे इसलिए मैंने अभी तक आकांक्षा को अपने बारे में कुछ भी नहीं बताया था।

आकांक्षा और मेरे बीच में अक्सर यही बात होती रहती थी कि तुम मुझे कब मिलोगे मैंने आकांशा को अपने बारे में कुछ भी सच नहीं बताया था मैंने आकांक्षा को यह बताया था कि मैं पटना का रहने वाला हूं। मैंने आकांक्षा को अपना नाम तक सच नहीं बताया था लेकिन हमारे बीच का प्यार बढ़ता ही जा रहा था और हम लोग एक दूसरे से फोन के माध्यम से ही बात किया करते लेकिन जब भी मुझे आकांक्षा दिखाई देती तो मैं उससे बात करने के बारे में सोचता लेकिन मेरे अंदर हिम्मत ही नहीं होती थी कि मैं उससे जाकर बात करूं। आकांशा को लगता था कि मैं उसे घूरता रहता हूं इसलिए वह जब भी मेरे पास से होकर गुजरती तो वह मुझे कभी भी नही देखा करती थी। मेरी नजरे सिर्फ आकांक्षा पर ही टिकी रहती थी आकांक्षा और मैं एक दूसरे से सिर्फ फोन पर ही बातें किया करते थे। मेरे और आकांक्षा के बीच बिल्कुल ही अलग रिश्ता था मैं आकांक्षा को अपने बारे में सच भी नहीं बता सकता था। मैंने यह बात अपने दोस्त को बताई तो वह मुझे कहने लगा यार तुम्हें अपनी असलियत उसे बता देनी चाहिए थी। मैंने आकाश से कहा मैं उसे अपनी असलियत बताना चाहता था लेकिन तब तक बहुत ज्यादा देर हो चुकी थी और हम दोनों का रिलेशन बहुत आगे बढ़ चुका था। हम दोनों की सिर्फ फोन पर ही बातें होती है औऱ मैं जब भी उसे देखता हूं तो वह मुझे ऐसे देखती है जैसे कि हम दोनों के बीच कुछ हो ही नहीं। आकाश कहने लगा तुम्हें आकांक्षा को साफ-साफ बता देना चाहिए मैंने आकाश से कहा मैं आकांशा को सब सच बताना चाहता हूं लेकिन मेरे अंदर अभी बिल्कुल हिम्मत नहीं है अब तुम ही बताओ मुझे क्या करना चाहिए। अब मैंने यह बात आकांशा को बताने के बारे में सोच ली थी लेकिन मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था परन्तु मेरे पास अब और कोई रास्ता भी तो नहीं था मुझे आकांक्षा को सब कुछ सच बताना हीं था। आकांक्षा और मैं जब पहली बार मिले तो हम दोनों के बीच बिल्कुल भी बात नहीं हो पाई मैंने आकांक्षा को अपने बारे में सब सच बता दिया आकांक्षा मुझे कहने लगी राजेश तुमने मेरे साथ बहुत ही गलत किया तुम्हें मुझे यह सब पहले ही बता देना चाहिए था।

मैंने आकांक्षा से कहा मैं तुम्हें सब सच बताना चाहता था लेकिन तब तक बात बहुत आगे बढ़ चुकी थी और मुझे कुछ भी समझ नहीं आया कि मुझे क्या करना चाहिए इसीलिए मैंने तुम्हें कुछ भी नहीं बताया और मैं इस बात से डरा हुआ था कि कहीं मैंने तुम्हें सच बता दिया तो कोई तकलीफ ना हो जाए। आकांक्षा के दिल में अब यह बात लग चुकी थी और वह अब मुझसे बात भी नहीं करना चाहती थी। वह मुझे कहने लगी तुम मुझे अब कभी भी मत मिलना आज के बाद हम लोग कभी एक दूसरे से नहीं मिलेंगे। आकांक्षा और मेरी पहली मुलाकात इस प्रकार से समाप्त होते हुए नजर आ रही थी उसके बाद वह मुझे काफी समय तक नहीं मिली ना ही उसने मेरा फोन उठाया और ना ही हम दोनों की मुलाकात हुई। इस दौरान एक अच्छी बात यह हुई कि मैंने जो रेलवे के लिए फॉर्म भरा था उसमें मेरा सिलेक्शन हो गया और मेरा सिलेक्शन होते ही मैंने रेलवे जॉइन कर लिया। शायद इस बात से आकांशा अब मेरी तरफ खींची चली आने लगी थी और हम दोनों के बीच अब दोबारा से बातें होने लगी थी। मुझे आकांक्षा से बात करना अच्छा लगता है और उसके साथ पहले जैसे ही बातें मेरी होने लगी थी।

यह सब मेरी नौकरी लगने के बाद ही हुआ था आकांक्षा के अंदर इतना बदलाव आ गया कि वह मुझसे पहले की तरह ही बाते करने लगी थी लेकिन मेरे दिल में अब आकांक्षा को लेकर वह प्यार नहीं था जो कि पहले था। आकांक्षा एक मतलबी लड़की थी इसलिए मैं भी अब आकांक्षा से मतलब ही निकालना चाहता था मैं उसे खुश करने की कोशिश करता रहता कभी मैं उसे चॉकलेट दे दिया करता और कभी उसकी खुशी के लिए मैं उसे अपने साथ कहीं घुमा दिया करता। मुझे भी वह खुश करने की कोशिश करती रहती लेकिन मैं उसके मंसूबे तो पूरी तरीके से जान चुका था आखिरकार उसने मुझे भी तो अपनी जिंदगी से दूर कर दिया था और उसके बाद वह पूरी तरीके से बदल भी चुकी थी। अब वह पहले वाली आकांक्षा नहीं थी जो कि सच कहती थी अब वह सिर्फ झूठ का सहारा लेती थी। जब मेरा मन उसे किस करने का होता तो मैं किस कर लिया करता मैं कभी भी मौका नहीं छोड़ता और मुझे आकांक्षा के पतले होठों को चूमने में मजा आता था। मुझे उसे चोदने का मौका भी मिला था लेकिन उस वक्त में वह मौका चूक चुका था लेकिन अब मैं वह मौका नहीं छोड़ना चाहता था। अब मै किसी भी कीमत में आकांक्षा को चोदना चाहता था उसके लिए मुझे सब कुछ मंजूर था मैंने आकांक्षा से कहा क्या तुम मुझसे अकेले में मिलोगी तो वह कहने लगी क्यों नहीं। आकांक्षा को मुझ पर भरोसा था और एक दिन मैंने उसे अपने घर पर बुला लिया। जब आकांक्षा मुझसे मिलने के लिए मेरे घर पर आई तो मुझे बहुत ही अच्छा मौका मिल चुका था और मै उसे अपना बनाना चाहता था मैंने आकांक्षा को सबसे पहले तो अपनी गोद में बैठा लिया और जैसे ही वह मेरी गोद में बैठी तो मेरा लंड उससे टकराने लगा था।

मैंने जब उसे अपनी बाहों में लेकर उसकी जांघ को सहलाना शुरू किया था वह मचलने लगी मैं उसकी जांघ को बड़े अच्छे से सहला रहा था और काफी देर तक मैंने उसकी जांघ को सहलाया। जब वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई तो मैंने आकांक्षा के सलवार के नाडे को तोड़ दिया मैंने उसकी सलवार को उतार दिया। मैंने भी अपने लंड को बाहर निकाला तो मैने आकांक्षा से कहा कि तुम अब मेरे लंड को चूसो पहले तो वह संकोच कर रही थी लेकिन फिर मेरी जीद के आगे कुछ ना कह सकी। उसने अपने पतले और गुलाबी होठों से जैसी ही मेरे लंड को स्पर्श किया तो मैं पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगा। जब उसने मेरे लंड को पूरी तरीके से गिला कर दिया था तो मुझे मजा आने लगा था। मैंने आकांक्षा से कहा तुम अपने कपड़ों को उतार दो अंकाक्षा ने अपने कपड़े उतार दिए और उसके बड़े स्तनो को मैंने अपने मुंह में समाते हुए उन्हें चूसना शुरू किया। मैंने आकांक्षा के निप्पल को बड़े अच्छे तरीके से चूसा जब उसके मुंह से आवाज निकली तो मैंने आकांक्षा की योनि पर अपने लंड को लगा दिया जैसे ही मेरा लंड आकांक्षा की योनि से टकराया तो मैंने आकांक्षा की योनि के अंदर अपने लंड को करना शुरू कर दिया। मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा मुझे अच्छा लग रहा था।

वह अपने मुंह से मादक आवाज मे सिसकिया ले रही थी मेरा मोटा लंड उसकी योनि के अंदर तक जा चुका था। उसकी सिसकिया मुझे अपनी ओर आकर्षित करती और उसकी सिसकिया लगातार बढ़ती जा रही थी। उसकी सिसकिया तेज होने लगी थी मुझे भी मजा आने लगा था। मैं लगातार तेज गति से आकांक्षा की योनि के अंदर बाहर अपने लंड को किए जा रहा था जिससे कि वह पूरी तरीके से मचल उठी और कहने लगी मुझे उल्टा कर के चोदो। जैसे ही मैंने उसे उल्टा करते हुए उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया और जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर घुसा तो उसे मजा आने लगा। मेरा लंड उसकी योनि के अंदर बाहर हो रहा था मै बड़े ही मज़े से अपने लंड को घुसा रहा था। मै उसकी योनि के अंदर बाहर लंड को करता जाता जिससे कि उसके अंदर की उत्तेजना भी बढ़ जाती और वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो जाती। मै इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि मैंने अपने लंड को बाहर की तरफ निकलते हुए अपने वीर्य को आकांक्षा के ऊपर गिरा दिया।

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