रचना के गुलाबी होंठों को चूमना

   26/12/2019

Antarvasna, hindi sex kahani:

Rachna ke gulabi hothon ko chumna मैं बस स्टॉप पर खड़ा होकर बस का इंतजार कर रहा था मुझे अभी कुछ दिन हीं हुए थे मैं पुणे में नया आया था। पुणे में करीब एक महीने पहले मेरी नौकरी लगी थी और मैं पुणे आया था पुणे में मेरे दोस्त ने हीं मेरी बहुत मदद की थी। मेरा दोस्त जो कि पुणे में काफी पहले से रहता है उसने मेरी मदद की और मैं उसके साथ ही रहता हूं। मैं बस का इंतजार कर रहा था जैसे ही बस आई तो मैं भी बस में चढ़ गया। हालांकि मुझे बैठने के लिए जगह तो नहीं मिल पाई थी लेकिन थोड़ी आगे जब बस गई तो अगले स्टॉप पर मुझे बैठने के लिए सीट मिल चुकी थी। मैं सीट में बैठा तो कंडक्टर मेरे पास आकर कहने लगा कि भाई साहब टिकट कटवा लो। मैंने टिकट लिया और उसके बाद मैं अपने फोन में टाइम देखने लगा तभी मैंने अपने बिल्कुल सामने देखा तो मेरे सामने एक लड़की खड़ी थी मैंने उसे कहा कि आप सीट में बैठ जाइए लेकिन वह नहीं बैठी।

मैंने उसे दोबारा आग्रह किया तो वह सीट में बैठ गयी और मुझे उसने थैंक्यू कहा। उसकी प्यारी सी मुस्कुराहट से मैं बहुत खुश हो गया था। उसके बाद से वह लड़की मुझे हमेशा बस में दिखने लगी तो मैं उसे हमेशा ही हेलो जरूर कहता था और उसके बाद तो रचना और मैं जैसे एक दूसरे के काफी करीब आ गए थे। हम दोनों की दोस्ती भी हो गई और रचना के बारे में मैं काफी कुछ जानने लगा था। मैंने उसे अपने साथ डिनर पर इनवाइट किया तो पहले वह मेरे साथ डिनर पर आने से कतरा रही थी लेकिन फिर वह मेरी बात मान गई और वह मेरे साथ डिनर पर आ गई। जब वह मेरे साथ डिनर पर आई तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा जिस तरीके से हम दोनों ने साथ में उस दिन समय बिताया तो हम दोनों को ही काफी अच्छा लगा था और मैं बहुत ज्यादा खुश था क्योंकि रचना और मैं अब एक दूसरे के बहुत ज्यादा करीब आते जा रहे थे। मेरी पुणे में ज्यादा दोस्ती नहीं थी मैं सिर्फ अपने ऑफिस जाता और ऑफिस से घर लौट आता। रचना से मेरी दोस्ती दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही थी हम दोनों की दोस्ती अब काफी ज्यादा गहरी हो चुकी थी।

मुझे रचना का साथ बहुत ही अच्छा लगता था और जब भी रचना के साथ मेरी बात नहीं होती या फिर मैं उससे मिल नहीं पाता तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था। अब समय बदलता जा रहा था मैं भी सोच रहा था कि रचना के साथ क्या मैं प्यार करने लगा हूं। एक दिन मैंने इस बारे में अपने दोस्त से डिस्कस किया तो उसने मुझे कहा कि मुझे लग रहा है कि तुम रचना से प्यार करने लगे हो। मुझे भी यही लगने लगा था कि रचना के बिना शायद मेरा जीवन अधूरा सा है और जब भी उससे मेरी मुलाकात नहीं हो पाती या फिर मेरी उससे बात नहीं हो पाती तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था। मैंने अब फैसला कर लिया था कि मैं रचना को अपने दिल की बात कह डालूंगा। मैं रचना को अपने दिल की बात कहना चाहता था लेकिन जब रचना ने मुझे अपने दिल की बात बताई तो मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया। रचना ने हीं मुझे पहले प्रपोज किया और फिर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था क्योंकि रचना और मैं अब एक हो चुके थे। हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी नहीं रह पाते थे और जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ में होते तो हम दोनों साथ में काफी अच्छा समय बिताया करते थे।

मुझे इस बात की बड़ी खुशी थी कि रचना और मैं एक दूसरे के साथ बहुत ही ज्यादा खुश है। मैं कभी भी रचना को किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने देता था हम दोनों एक दूसरे के साथ हमेशा ही खुश रहते। जब भी मैं रचना से मिलता तो रचना के चेहरे पर मुस्कुराहट होती जो कि मेरी परेशानी को दूर कर दिया करती थी। रचना कहने लगी कि मैं इस बारे में अपनी फैमिली को बता दूंगी मैंने रचना को कहा कि तुम अभी अपनी फैमिली में इस बारे में कुछ मत बताओ। रचना भी मेरी बात मान गई और हम दोनों एक दूसरे के साथ रिलेशन में बहुत ही ज्यादा खुश हैं। मुझे कुछ दिनों के लिए अपने घर लखनऊ जाना था और मैं कुछ दिनों के लिए लखनऊ चला गया था। जब मैं लखनऊ गया तो पापा की तबीयत अचानक खराब हो गई थी और मुझे कुछ दिनों तक घर पर ही रुकना पड़ा। रचना का फोन मुझे आ रहा था लेकिन उस वक्त मैं अस्पताल में था इसलिए मैं उसका फोन नहीं उठा पाया था।

जब मैंने रचना को बाद में फोन किया तो रचना ने मुझे कहा कि मैं तुम्हें कब से फोन कर रही थी तुमने मेरा फोन नहीं उठाया मैंने रचना को कहा कि पापा की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मैं उन्हें हॉस्पिटल लेकर आया था। रचना ने मुझसे कहा कि अब उनकी तबीयत कैसी है? मैंने रचना को कहा कि उनकी तबीयत पहले से बेहतर है और वह पहले से बेहतर महसूस कर पा रहे हैं डॉक्टरों ने भी कहा है कि कल उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर देंगे। मेरी उस दिन रचना से ज्यादा देर तक बात नहीं हो पाई थी अगले दिन जब पापा को हम लोग घर ले आए तो मैंने उस दिन रचना से बात की। रचना से बात कर के मुझे अच्छा लगा और उसने मुझसे पापा की तबीयत के बारे में पूछा तो मैंने रचना को बताया कि अब उनकी तबीयत ठीक है। रचना ने मुझसे कहा कि तुम वापस पुणे कब लौट रहे हो तो मैंने रचना को कहा कि मैं जल्द ही पुणे आ जाऊंगा।

मैं जल्द ही पुणे लौटने वाला था और कुछ दिनों के बाद मैं पुणे चला आया, जब मैं पुणे आ गया तो मैं रचना को मिला रचना के साथ उस दिन मैंने काफी अच्छा समय बिताया। रचना भी बहुत ज्यादा खुश थी जिस तरीके से हम दोनों ने साथ में समय बिताया था। रचना और मैं एक दूसरे के साथ हमेशा ही टाइम स्पेंड किया करते थे। जब रचना और मैं एक दूसरे के साथ होते तो हम दोनों को अच्छा लगता। एक दिन रचना मेरे साथ बैठी हुई थी उस दिन हम दोनो बातें कर रहे थे वह मेरे फ्लैट में आई हुई थी मेरा दोस्त घर पर नहीं था क्योंकि वह अपने किसी जरूरी काम से कुछ दिनों के लिए बाहर गया हुआ था इसलिए मैंने रचना को अपने घर पर ही बुला लिया था। मैं रचना से बातें कर रहा था हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे से बातें की। मैंने जब उसके हाथों को पकड़ लिया था। मैंने रचना के हाथों को पकडा तो उसके कोमल हाथों को मै सहलाने लगा था। मैं जिस तरीके से उसके हाथों को सहला रहा था उससे कहीं ना कहीं वह गर्म होती जा रही थी और मेरी गर्मी बढ़ाती जा रही थी।

उसने मेरी गर्मी को बहुत बढ़ा दिया था वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी। मैंने रचना की जांघ पर अपने हाथ को रखा तो रचना पूरी तरीके से गर्म होने लगी थी और उसकी गर्मी इतनी अधिक होने लगी थी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मैंने रचना को कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। रचना और मैं एक दूसरे के साथ अच्छे से सेक्स करना चाहते थे जब मैंने रचना के गुलाबी होंठों को चूमना शुरू किया तो उसको मजा आने लगा था वह बहुत ज्यादा गर्म होती चली गई। मैंने रचना से कहा तुम्हारी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ रही है। रचना और मैं एक दूसरे के साथ बहुत ही ज्यादा खुश थे।

मैंने रचना के स्तनों को दबाना शुरू किया मैंने जैसे ही रचना के स्तनों को दबाना शुरू किया तो वह भी मजे में आने लगी और वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मुझे काफी अच्छा महसूस होने लगा था हम दोनो गर्म होते चले गए। वह जिस तरीके से गरम हो रही थी हम दोनों को बड़ा अच्छा लग रहा था हम दोनो बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे। मैंने रचना की पैंटी को उतारते हुए उसकी चूत पर अपनी उंगली को लगाया तो उसकी चूत से पानी बाहर निकलने लगा था। उसकी योनि पर एक भी बाल नहीं था और उसकी चूत को देखकर मेरी गर्मी और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी। मैंने जैसे ही रचना की चूत पर अपने लंड को लगाया तो रचना मेरी गर्मी को झेल नहीं पा रही थी वह तड़पने लगी थी।

वह मुझे अपने पैरों के बीच में जकड़ने की कोशिश करने लगी थी। मेरा मोटा लंड रचना की योनि के अंदर जाने के लिए तैयार था जैसे ही मैंने अपने लंड को रचना की योनि में घुसाया तो वह बहुत जोर से चिल्ला कर मुझे कहने लगी मुझे मजा आ रहा है। हम दोनो एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा ले रहे थे मेरा लंड उसकी योनि के अंदर जा रहा था। जब मै रचना को चोदता तो मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था और जिस प्रकार से मै उसकी चूत का मजा ले रहा था उससे वह जोर से सिसकारियां लेकर मुझे गर्म करने की कोशिश कर रही थी। मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था मेरा लंड रचना की गर्मी को बिल्कुल भी झेल नहीं पा रहा था जैसे ही मैंने आपने माल को रचना की चूत में डाला तो रचना खुश हो गई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। उसके बाद मैंने रचना की चूत को दोबारा से मारना शुरू किया रचना की योनि के अंदर बाहर मैं अपने लंड को दोबारा से करने लगा था मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था।

हम दोनो एक दूसरे का साथ दे रहे थे। मैने रचना की योनि के अंदर बाहर अपने लंड को काफी देर तक किया मेरा लंड रचना की चूत के अंदर बाहर हो रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझे और तेजी से चोदते जाओ। उसके अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी अब वह समय नजदीक आ चुका था जब रचना की योनि से पानी बाहर की तरफ गिरने लगा था और उसकी चूत मेरे लंड की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था वह झड़ चुकी थी। मुझे उसने अपने पैरों के बीच में जकड़ लिया था। वह रह नहीं पा रही थी मैंने रचना की योनि में अपनी माल को गिरा दिया था और उसकी गर्मी को मैं शांत कर चुका था। मुझे बड़ा ही मजा आया जिस तरीके से मैंने रचना की गर्मी को बढ़ा दिया था वह पूरी तरीके से खुश हो चुकी थी।

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