नई नवेली चूत मे वीर्य की कुछ बूंदे

   01/04/2019

Nayi naveli chut me virya ki kuch boondein:

Antarvasna, hindi sex stories मैं रोजगार के सिलसिले में लखनऊ चला जाता हूं लखनऊ में मेरे बहनोई रहते हैं क्योंकि बनारस में मेरा काम कुछ ठीक नहीं चल रहा था इसलिए उन्होंने बोला कि आप लखनऊ आ जाइए तो मैं उनके कहने पर लखनऊ चला गया। लखनऊ की मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन उन्होंने मुझे कहा तो मैं उनके कहने पर लखनऊ में आ गया था कुछ समय बाद उन्होंने मुझे एक दुकान दिलवा दी जो की कॉलेज के बाहर थी। मुझे पूरी उम्मीद थी कि वह दुकान बहुत अच्छी चलेगी मैंने उसमें थोड़ा बहुत काम करवाया क्योंकि जो व्यक्ति पहले उसमें दुकान चलाते थे उन्होंने दुकान की हालत काफी खराब की हुई थी वहां पर बिल्कुल भी साफ-सफाई नहीं थी।

जब मैं दुकान का काम करा रहा था तो उस वक्त मेरे पास एक व्यक्ति आये वह मुझसे पूछने लगे भैया आप कहां के रहने वाले हो मैंने उन्हें बताया मैं तो बनारस का रहने वाला हूं। उन्होंने मुझे कहा आप बेवजह यहां पर दुकान खोल रहे हैं आपका काम बिल्कुल नहीं चलने वाला लेकिन मैंने उनकी बात को अनसुना कर दिया मैं सिर्फ उनकी बातों का हां में जवाब देता रहा। उसके कुछ ही समय बाद मैंने दुकान खोल ली और जब मैंने दुकान खोली तो वहां पर मेरे पास कुछ लड़के आ जाया करते जो कि कॉलेज में ही पढ़ने वाले थे मैं उनके साथ बड़े ही अच्छे से पेश आता और वह लोग भी मेरे साथ बहुत अच्छा व्यवहार रखते। शुरुआत में दो-तीन महीने तक तो दुकान का काम बहुत अच्छा चला मैं काफी खुश भी था क्योंकि इतने समय बाद मुझे एक अच्छा काम मिल चुका था। मेरे बहनोई मुझसे पूछने लगे आपका काम तो अच्छा चल रहा है ना, मैंने उनसे कहा हां मेरा काम तो अच्छा चल रहा है अब धीरे-धीरे कुछ लड़कों से मेरी जान पहचान होने लगी तो मैं उन्हें उधार भी देने लगा लेकिन यह मेरी सबसे बड़ी भूल थी कि मैंने उन्हें सामान उधार देना शुरू कर दिया। मुझे समय पर वह लोग पैसे नहीं दिया करते थे जिससे कि कई बार मेरी उनसे नोकझोंक भी हो जाती थी फिर मैंने उधार देना बंद कर दिया लेकिन कुछ लड़कों के पास मेरे काफी पैसे बकाया रह गए थे जिसकी वजह से वह लोग मुझे मिलते ही नहीं थे।

एक दिन मैं उन्हें ढूंढने के लिए कॉलेज के अंदर ही चला गया जब मैं कॉलेज के अंदर गया तो वहां पर मुझे उन लड़कों का ग्रुप दिखा मैंने उनसे कहा मुझे पैसे कब दे रहे हो। वह कहने लगे कि अभी हमारे पास नहीं है बाद में ले लेना लेकिन उस टाइम शायद मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी कि उन लोगों से पैसे की बात की। उनके साथ उनके कॉलेज का एक लड़का और भी था जो की कॉलेज में अध्यक्ष है मुझे नहीं मालूम था कि वह कॉलेज में अध्यक्ष है और उसका नाम सुरजीत है। उसने मुझसे कहा यह तुम क्या बोल रहे हो तुम्हें कोई पैसे नहीं मिलने वाले मैंने जब उससे कहा मैं ऐसे ही कैसे पैसे भूल जाऊं मुझे तो मेरे पैसे चाहिए और इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं जानता। वह कहने लगा तुम्हें जो करना है कर लो लेकिन अब तुम्हारे पैसे बिल्कुल भी नहीं मिलने वाले मैंने उससे कहा यह तो अजीब जबर्दस्ती है एक तो तुम दुकान का सामान भी लो और ऊपर से तुम मुझे ही कहो। मैं गुस्से में वहां से बरवाड़ा हुआ चला गया लेकिन उन लड़कों ने मुझे पैसे नहीं दिए इस बात को काफी समय हो चुका था मैंने इस बात को लेकर कॉलेज के प्रशासन से भी शिकायत की कि आपके कॉलेज के कुछ बच्चों ने मेरे पैसे नहीं दिए हैं। वह मेरी बात कहां सुनने वाले थे मैं तो एक छोटा सा दुकानदार हूं और आखिरकार उन्हें मेरी बात सुनने से क्या मिलता उन लोगों ने भी बात को अनसुना कर दिया और मुझे आश्वासन देते हुए कहा हां ठीक है हम लोग उनसे बात कर लेंगे। शायद वह भी उनसे बात नहीं करना चाहते थे जिस वजह से मेरी दुकानदारी पर भी काफी असर पड़ने लगा था वहां गिने चुने ही बच्चे थे जो कि मुझसे सामान खरीदा करते थे अधिकतर तो उधार वाले ही होते थे। मैं काफी परेशान रहने लगा कॉलेज में सुरजीत की पूरी गुंडागर्दी चलती थी और वह किसी की भी नहीं सुनता था जैसे तैसे मैं अपनी दुकान का काम चला रहा था उसी बीच कॉलेज में दोबारा चुनाव होने वाले थे।

एक दिन मैं दुकान में ही बैठा हुआ था तभी दुकान के बगल से एक लड़की गुजर रही थी वह मेरे पास आई और कहने लगी क्या आपके पास पेन होगा मैंने उसे कहा हां पैन मिल जायेगा। मैंने उसे दुकान से पैन निकालकर दिया वह मुझसे कहने लगी कितने रुपए हुए मैंने उसे कहा दस रुपये दे दीजिए उसने मुझे पैसे दिए और उसके बाद वह चली गई उसका नाम रुचिका है। कुछ दिनों बाद मुझे मालूम पड़ा कि रुचिका कॉलेज के चुनाव में उठी हुई है वह अक्सर मेरे पास सामान लेने के लिए आती रहती थी। मैंने रुचिका से कहा तुमने बहुत अच्छा किया जो कॉलेज के चुनाव में तुम उठी हो मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम ही कॉलेज का इलेक्शन जीतोगी। रुचिका मुझे कहने लगी धन्यवाद, आपका नाम क्या है मैंने उसे बताया मेरा नाम रमाकांत है उस दिन मैंने उसे पूरी बात बताई और कहा कि सुरजीत ने किस प्रकार से मेरे साथ व्यवहार किया और अभी तक उन लोगों ने मेरे पैसे नहीं दिए। मैंने उसे बताया की जैसे-तैसे तो मैं अपनी दुकान का काम चला रहा हूं और ऊपर से मुझ पर उधारी हो जाए तो यह तो बड़ी विकट समस्या हो जाएगी क्योंकि मेरे पास इतना ज्यादा पैसे नहीं है। रुचिका कहने लगी कि आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए सब कुछ ठीक हो जाएगा मैं कोशिश करूंगी कि आपके पैसे वह लोग लौटा दे।

मुझे उम्मीद थी कि रुचिका यह इलेक्शन जीतेगी क्योंकि मेरे पास कॉलेज के जितने भी बच्चे आते थे वह सब कहते थे कि रुचिका एक अच्छी लड़की है। सब लोगों को पूरी उम्मीद थी कि वह कॉलेज का चुनाव जीतने वाली है और हुआ भी ऐसा ही रुचिका ही कॉलेज का चुनाव जीती और वह बहुत खुश थी। जिस दिन वह चुनाव जीती उस दिन वह मेरे पास भी आई और कहने लगी रमाकांत जी आपने कहा था कि मैं चुनाव जरूर जीतूंगी तो लो मैं चुनाव जीत गई। मैंने रुचिका को बधाई दी और कहा चलो यह तो बहुत खुशी की बात है और तुम्हें तुम्हारे भविष्य के लिए बहुत बधाइयां। वह खुश हो गई और उसके बाद उसने मुझे सुरजीत के लड़कों से पैसे भी दिलवा दिये रुचिका को जब भी कुछ लेना होता तो वह उसी वक्त पैसे दे दिया करती। सुरजीत का कॉलेज भी पूरा हो चुका था और वह कॉलेज से अब जा चुका था उसके बाद दूसरी बार भी कॉलेज का चुनाव रुचिका ही जीत गई थी। मुझे वहां पर काम करते हुए करीब दो-तीन वर्ष हो चुके हैं मेरा काम बहुत अच्छा चलता है रुचिका अक्सर मेरी दुकान में आती रहती है। कॉलेज के गेट के बिल्कुल सामने मेरी दुकान है इसलिए जितने भी बच्चों को सामान लेना होता तो वह मेरे पास ही आया करते थे। रुचिका से तो मेरी इतनी अच्छी बातचीत हो चुकी थी कि वह एक दो बार मेरे घर भी आई थी। अब मैं अपनी पत्नी के साथ ही लखनऊ में रहने लगा था मैं इस बात से भी बहुत खुश था कि मेरा काम अब अच्छे से चलने लगा है। एक दिन रुचिका के साथ में एक नई लड़की आई हुई थी रुचिका ने उससे मेरा परिचय करवाया और कहां नमिता यह रमाकांत जी है। मुझे उसे देखकर कुछ अच्छा नहीं लगा मैं उसकी चूत लेना चाहता था वह अभी कच्ची कली थी और उसे सेक्स के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। नमिता जब भी मेरी दुकान में आती तो मुझे हमेशा मुस्कुरा कर जवाब दिया करती मैं उसे हमेशा पूछा करता तुम कैसी हो? वह हमेशा ही अलग जवाब दिया करती।

एक दिन मैंने उसे कहा क्या तुम मेरे साथ घूमने चलोगी तो वह कहने लगी नहीं मैं ऐसे ही किसी के साथ घूमने नहीं जाती। मैं उसे हर रोज गिफ्ट देने लगा था मुझे यह तो मालूम था कि मैं उसकी चूत लेकर ही रहूंगा। मैं उसे कुछ ना कुछ गिफ्ट दिया करता था जिससे कि वह मेरी तरफ आकर्षित हो सके और एक दिन वह मेरी बातों में आ गई। वह कहने लगी चलो आज कहीं घूम आते हैं मैं उसे अपने साथ घुमाने के लिए ले गया। जब वह मेरे साथ मेरी मोटरसाइकिल पर बैठी थी तो मैं उसकी जांघों को सहलाता जाता जिससे कि उसकी योनि से भी पानी निकालने लगा था। वह अपनी जवानी पर काबू नहीं कर पाई मुझे बहुत अच्छा मौका मिल चुका था और मैं उसके साथ सेक्स करना चाहता था और मैंने उसके साथ सेक्स किया। मैं जब उसे अपने साथ एक सुनसान जगह पर ले गया तो वहां पर मैंने अपनी मोटरसाइकिल खड़ी की और उसे कहा मैं तुम्हें किस करना चाहता हूं। मैंने नमिता के रसीले होठों को किस किया उसने पहली बार किसी के साथ चुंबन किया था वह मुझे कहने लगी मुझे नशा सा हो रहा है। मैंने उसे कहा अभी तो यह शुरुआत है तुम्हें और भी नशा होगा जब मैंने उसे लंड दिखाया तो वह मेरा लंड देखकर कहने लगी तुम्हारा तो काफी मोटा लंड है। मैने उसे कहा तुम अपने मुंह में लो ना उसने अपने मुंह में मेरे लंड को ले लिया और वह बड़े अच्छे से मेरे लंड को सकिंग करने लगी।

उसे बड़ा मजा आ रहा था जब उसने मेरे लंड को अपनी योनि पर रगडना शुरू किया तो मैंने उसे वहीं झाड़ियों पर लेटा दिया। वह कहने लगी मेरी चूतडो पर कांटे चुभ रहे हैं मैंने उसे कहा कोई बात नहीं अभी ठीक हो जाएगा। मैंने एक ही झटके में उसकी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया जब उसकी योनि के अंदर मेरा लंड प्रवेश हो गया तो वह चिल्ला उठी उसकी सील टूट चुकी थी और उसकी योनि से खून बाहर निकालने लगा था। मुझे उसे धक्के देने में बड़ा आनंद आता और मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के दिए जा रहा था जिससे कि उसकी योनि से लगातार खून का बहाव हो रहा था और मुझे उसकी नई नवेली चूत मारने में बड़ा मजा आता। मेरे लिए तो यह बड़ा ही अच्छा था क्योंकि मुझे एकदम फ्रेश माल मिल चुकी थी। मुझे उसे चोदने में भी बड़ा आनंद आता जिससे कि मेरी इच्छा पूरी हो रही थी और वह भी खुश हो गई थी नमिता मुझसे कहने लगी मुझे बड़ा दर्द हो रहा है मैंने उसे कहा बस कुछ देर की बात है। कुछ देर बाद ही मेरा वीर्य पतन हो गया नमिता और मेरी सेक्स की इच्छा पूरी हो गई थी, अब तो वह माल बन चुकी है।

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