मनीषा के होठों को चूमा | Maneesha ke hothon ko chooma

   02/03/2020

Antarvasna, hindi sex kahani:

Manisha ke hothon ko chuma मैं और अमित कुछ दिनों के लिए जालंधर घूमने के लिए चले गए थे। हम लोग जालंधर में कुछ दिनों तक रहे और फिर वहां से हम लोग वापस लौट आए थे। जालंधर में अमित के चाचा जी का होटल है इसलिए हम लोग वहां पर अक्सर घूमने के लिए चले जाया करते हैं। हम लोग वहां पर कुछ दिनों तक रहे फिर हम लोग वहां से वापस लौट आए। जब हम लोग घर वापस लौटे तो मैं अपने काम में बिजी हो चुका था। मैं अपने पिताजी के काम को संभाल रहा हूं। मेरे पापा गारमेंट शॉप चलाते हैं और वह पिछले 30 वर्षों से गारमेंट शॉप चला रहे हैं। अब मैं काम संभालने लगा था और सब कुछ अच्छे से चल रहा है। एक दिन मैं और मेरे पापा दुकान में बैठे हुए थे उस दिन पापा ने मुझे कहा बेटा आज मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है मेरी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए मैं घर जा रहा हूं। मैंने पापा से कहा ठीक है पापा आप घर चले जाइए। पापा घर चले गए थे पापा घर जा चुके थे। जब वह घर गए तो मैं उस दिन दुकान का काम संभाल रहा था।

मैं उस दिन रात को घर पहुंचा तो उस दिन 10:00 बज रहे थे। पापा अपने कमरे में आराम कर रहे थे। मैंने पापा से पूछा अब आपकी तबीयत कैसी है तो वह कहने लगे अब पहले से बेहतर महसूस कर रहा हूं। पापा और मैं थोड़ी देर बैठे रहे फिर मां ने कहा मैं तुम लोगों के लिए खाना बना देती हूं। मां ने उस दिन खाना नहीं बनाया था मैंने मां से कहा नहीं मां रहने दो आज हम लोग खाना बाहर से ही मंगवा लेते हैं। हम लोगों ने खाना बाहर से ही मंगवा लिया था। उस दिन हम लोगों ने खाना बाहर से ही ऑर्डर किया मैं अब अपने रूम में लेटा हुआ था। उस दिन मैंने अपने दोस्त रजत से बात की मैं काफी दिनों बाद फोन पर रजत से बातें कर रहा था। उससे मेरी बात थोड़ी देर तक हुई और रजत ने मुझसे कहा मैं तुमसे मिलना चाहता हूं। मैंने रजत को कहा ठीक है। मैं अगले दिन रजत को मिला, जब मैं दुकान में था तो रजत मुझसे मिलने के लिए दुकान मे आया हुआ था। हम दोनों ने काफी समय बाद एक दूसरे से मुलाकात की थी।

रजत ने मुझे अपनी शादी का कार्ड दिया वह मुझे कहने लगा तुम्हें मेरी शादी में जरूर आना होगा। मैंने रजत को कहा हां क्यों नहीं मैं तुम्हारी शादी में जरूर आऊंगा। रजत थोड़ी देर दुकान में रहा और फिर वह चला गया। रजत अब जा चुका था मैं अपना काम संभाल रहा था। उस दिन पापा दुकान में नहीं आए थे और मैं  उस दिन देर से घर पहुंचा। जब उस दिन मैं घर पहुंचा तो मां ने खाना बना लिया था। अब हम लोगों ने साथ में डिनर किया पापा पहले से ठीक महसूस कर रहे थे और वह मुझे कहने लगे अब मैं पहले से अच्छा महसूस कर रहा हूं। पापा की तबीयत में काफी सुधार आ चुका था वह भी दुकान में आने लगे थे। वह दुकान का काम संभालने लगे थे। मुझे कुछ दिनों के लिए सामान लेने के लिए दिल्ली जाना था। मैं जब दिल्ली गया तो मैं अपने चाचा जी के घर पर ही रुका। मेरे चाचा जी दिल्ली में ही रहते हैं वह काफी वर्षो से वहां पर रह रहे हैं। वह दिल्ली में ही नौकरी करते हैं मुझे उस दिन उनसे मिलकर काफी अच्छा लगा। काफी दिनों बाद में उनसे मिला था और मैं कुछ दिनों तक उनके घर पर ही रहा।

अब मैं वापस रोहतक लौट आया था। मैं जब रोहतक वापस लौटा तो मैं अब काम संभालने लगा था। मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था इसलिए मैं अपने दोस्तों से भी नहीं मिल पाया था। काफी दिन हो गए थे मैं अपने दोस्तों से भी नहीं मिला था। मैंने सोचा क्यों ना अपने दोस्तों से मिल लूं। मैं अपने दोस्तों से मिलने के लिए उस दिन अपने कॉलेज के बाहर कैंटीन में चला गया। वहां पर अक्सर वह लोग आया करते हैं उस दिन हम लोग मिला तो मुझे काफी अच्छा लगा। अब मेरी भी शादी की उम्र होने लगी थी इसलिए पापा और मम्मी चाहते थे मैं शादी कर लूं लेकिन मुझे थोड़ा समय चाहिए था। जब पहली बार में मनीषा से मिला तो मुझे काफी अच्छा लगा। मनीषा को मेरे परिवार वालों ने मेरे लिए पसंद किया था। जब मैं मनीषा से पहली बार मिला तो मेरे लिए यह काफी अच्छा था और मैंने मनीषा से शादी के लिए हां कह दिया था। अब हम दोनों की इंगेजमेंट हो गई थी। जब हम दोनों की सगाई हुई तो उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से फोन पर बातें करने लगे थे और हम दोनों की बातें काफी ज्यादा होने लगी थी। हम दोनों फोन पर घंटों बातें किया करते मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब भी मैं मनीषा से फोन पर बातें किया करता।

मनीषा और मैं एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं हम दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे। हम दोनों की शादी के लिए सब लोग तैयार थे और जल्द ही हम दोनों की शादी हो गई। जब हम दोनों की शादी हुई तो मैं काफी खुश था। मनीषा मेरी पत्नी बन चुकी है और मनीषा ने घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा लिया था। उसने जिस तरीके से घर की जिम्मेदारियों को निभाया था वह मेरे लिए काफी अच्छा था और मैं भी बहुत ज्यादा खुश था। मनीषा और मैं एक दूसरे के साथ अपनी जिंदगी के हर एक पल को अच्छे से बिता रहे है। हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुश हैं। वह मेरे साथ शादीशुदा जीवन में काफी खुश हैं। मुझे जब भी मौका मिलता तो मैं मनीषा के साथ ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करता और वह भी मेरे साथ काफी खुश है। मनीषा चाहती थी वह नौकरी करे। मनीषा ने मुझसे इस बारे में कहा तो मैंने भी मनीषा से कहा अगर तुम नौकरी करना चाहती हो तो मुझे इसमें कोई भी ऐतराज नहीं है। मनीषा ने नौकरी करने का फैसला कर लिया था। मनीषा नौकरी करने लगी थी और मेरे लिए यह अच्छा था वह नौकरी कर रही थी और घर की जिम्मेदारियों को भी संभाल रही थी। मैंने मनीषा को कभी भी किसी चीज के लिए मना नहीं किया। मनीषा मेरे साथ काफी खुश है जिस तरीके से हम दोनों की जिंदगी चल रही है उस से हम दोनो एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताने की कोशिश करते हैं।

हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे मैंने मनीषा से कहा मुझे तुम्हारे होठों को चूसने मे अच्छा लग रहा है। मैंने मनीषा के कपड़ों को उतार दिया था मनीषा मेरे सामने नग्न अवस्था में थी। उसके नंगे बदन को देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा। जब मेरा लंड खड़ा हो गया तो मैंने मनीषा से कहा मैं तुम्हारी चूत में लंड घुसाना चाहता हूं।  मैंने अपने लंड को मनीषा के सामने किया तो वह चिल्लाने लगी। उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर मेरे लंड को चूसना शुरू किया तो उसे बहुत मज़ा आ रहा था। वह जिस तरीके से मेरे लंड को चूस रही थी उस से मेरी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। हम दोनों की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ रही थी मुझे काफी अच्छा लग रहा था जिस तरीके से मैं और मनीषा एक दूसरे की गर्मी को बढ़ा रहे थे। जब मैंने मनीषा की चूत पर अपने लंड को लगाया तो मेरा लंड उसकी चूत में जाने के लिए तैयार था। मैंने अपने मोटे लंड को उसकी चूत में घुसा दिया। मेरा लंड मनीषा की चूत में जाते ही वह बहुत जोर से चिल्लाई और मुझे बोली मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। अब हम दोनों बहुत ज्यादा गर्म होने लगे थे। मैं जिस तरीके से उसे चोद रहा था उससे वह बहुत ज्यादा खुश थी और मैं भी बहुत ज्यादा खुश था। मनीषा और मैं एक दूसरे की गर्मी को बढ़ा रहे थे।

हम दोनों बहुत ज्यादा गरम हो चुके थे और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था जिससे मैं उसे तेजी से धक्के दिए जा रहा था। मेरा लंड बड़ी आसानी से मनीषा की चूत के अंदर बाहर हो रहा था। अब हम दोनों बहुत ज्यादा गरम हो गए और मैंने मनीषा से कहा मैं तुम्हारी चूत में अपने वीर्य को गिराना चाहता हूं। मैंने मनीषा की चूत में वीर्य को गिराकर अपनी गर्मी को शांत कर दिया था और मनीषा बहुत ज्यादा खुश थी जब मैंने अपने वीर्य को उसकी चूत में गिराया और उसकी गर्मी को शांत कर दिया था। मेरे लंड से अभी भी वीर्य बाहर की तरफ को गिर रहा था। मैंने जब मनीषा से कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो तो मनीषा ने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसना शुरू किया। जब वह मेरे लंड को चूस रही थी तो मुझे मजा आने लगा और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था उसने मेरे लंड से पूरी तरीके से पानी बाहर निकाल दिया था। मैंने दोबारा से उसकी चूत में लंड को घुसाने का फैसला किया।

मेरा लंड उसकी चूत में चला गया था और जैसे ही मेरा लंड मनीषा की चूत मे गया तो वह बहुत जोर से चिल्लाई। मैंने उसे घोड़ी बना दिया था अब वह मुझसे अपनी चूतड़ों को टकराए जा रही थी जिस से मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और उसे भी काफी मज़ा आ रहा था। हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होते चले गए और मैंने उसे कहा मेरी गर्मी को तुमने अब शांत कर दिया है। मैंने उसकी चूत में अपने वीर्य को गिरा दिया था। करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद मेरी इच्छा पूरी हो चुकी थी और मनीषा भी बहुत ज्यादा खुश थी जिस तरीके से हम दोनों ने सेक्स संबंध बनाए और एक दूसरे की गर्मी को हम दोनों ने शांत कर दिया था।

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