इतनी भी जल्दी कहां की है जानेमन

   03/04/2019

Itni jaldi kahan ki hai janeman:

Antarvasna, hindi sex kahani मधु की शादी को ज्यादा समय नहीं हुआ था लेकिन घर में उसके जाने से काफी सन्नाटा था और सब लोगों को जैसे मधु की आदत सी हो गई थी। पापा भी सबसे कम बात करने लगे थे और मेरी मम्मी भी बात बात में मधु का नाम लेती रहती और कहती कि यदि वह होती तो ख़ुद ही यह काम करती है। उसने हम सब लोगों को एक डोर में बांधा हुआ था और उसके जाते ही सब लोग दुखी रहने लगे हम सब लोग मोतियों की तरह बिखर चुके थे मेरे पास इस बात का कोई जवाब नहीं था। घर में मैं छोटा हूं और मुझसे छोटी एक बहन और है जिसका नाम सुधा है मेरे बड़े भैया कमल वह तो जैसे घर में रहना ही नहीं चाहते थे। उन्होंने एक दिन पिताजी से कहा मैं काम करने के लिए चेन्नई जा रहा हूं वहां की कंपनी में मेरा सलेक्शन हुआ है और अब मैं वही रहूंगा।

पिताजी यह सुनकर थोड़ा दुखी हुए लेकिन उन्होंने भी धीमी आवाज में भैया से कहा कोई बात नहीं कमल तुम्हें जहां अच्छा लगे तुम वहां रह सकते हो। पिताजी बिल्कुल नहीं चाहते थे कि कमल भैया चेन्नई जाए लेकिन फिर भी वह चेन्नई चले गए। मधु की शादी के बाद तो घर में सब लोग इधर उधर ही हो चुके थे और कोई किसी से अच्छे से बात भी नहीं करता था खाने में भी वह स्वाद नहीं था जो पहले था। मैं जब थका हारा अपने ऑफिस से घर लौटा तो मैंने सुधा से कहा मधु मेरे के लिए पानी लाना सुधा मेरे पास आई और कहने लगी भैया मैं मधु नही सुधा हूं। मैंने उसे कहा पता नहीं मधु के जाने से ऐसा क्या हो गया है कि सब लोग एक दूसरे से अच्छे से भी बात नहीं करते और सब एक दूसरे से कटने लगे हैं हमारा परिवार जैसे बिखरने लगा है। सुधा कहने लगी भैया आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं मुझे भी ऐसा ही लग रहा है कमल भैया भी अब चेन्नई चले गए और पिताजी तो अपने कमरे में ही रहते हैं। वह ना तो किसी से बात करते हैं और ना ही उन्हें किसी से ज्यादा कोई लेना-देना है मां तो जैसे पागल सी हो गई है वह पता नहीं कहां की बातें करती रहती है। इस बात से मैं भी काफी परेशान था क्योंकि घर का माहौल पूरा खराब हो गया था लेकिन मुझे क्या पता था कुछ समय बाद ही मधु घर वापस आ जाएगी। एक शाम जब मैं अपने हॉल में बैठा हुआ था और गर्मी काफी हो रही थी मैंने पंखे को पूरी स्पीड में चला रखा था, मेरे मुंह से लगकर बिल्कुल मैंने कूलर को भी ऑन किया हुआ था मैं बैठा ही था तभी मैंने देखा मधु दरवाजे से अंदर आई और उसके हाथ में एक बड़ा सा बैंक था।

मैं कुछ समझ नहीं पाया मैंने मधु से कहा तुम बिना बताए ही घर आ गई मधु ने कोई जवाब नहीं दिया और वह अपने कमरे में चली गई। मुझे लगा शायद वह थकी होगी इसलिए अपने कमरे में चली गई तभी मेरी मम्मी भी सब्जी लेकर आई तो मैंने उन्हें बताया मधु आई है मां के चेहरे पर खुशी आ गई और वह कहने लगी मधु कहां है। मैंने उन्हें कहा मधु अपने कमरे में है वह आराम कर रही है शायद थकी होगी मम्मी कहने लगी मैं उसके लिए अभी गरमा गरम पकोड़े बनाती हूं उसे पकौड़े बहुत पसंद है। मेरी मां किचन में चले गई और उन्होंने सुधा को अपने पास बुला लिया और वह दोनों मधु के लिए पकोड़े बनाने लगी शायद मेरे पिताजी को भी यह बात पता चल गई और उस दिन वह मुझसे पूछने लगे की क्या मधु भाई है। मैंने उन्हें कहा हां पिताजी मधु आई है उन्होंने मुझसे काफी समय बाद बात की थी और वह उसके बाद मधु के कमरे में चले गए मधु चुपचाप एक कोने में खिड़की में बैठी हुई थी। मेरे पिताजी ने मुझे आवाज देते हुए अपने पास बुलाया और कहा बेटा प्रताप अंदर आना मैं जब कमरे में गया तो मैंने देखा मधु उदास बैठी हुई थी। मुझे लगा शायद वह थकी होगी लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था वह तो अपने कमरे में खिड़की के किनारे बैठ कर बाहर देख रही थी और वह सिर्फ रोए जा रही थी। मधु से सब लोग बहुत प्यार करते हैं इसलिए मुझसे भी नहीं रहा गया और मैंने मधु से गुस्से में पूछ लिया मधु क्या हुआ, तो मधु मुझसे कहने लगी भैया आप लोग यहां से चले जाइए मुझे आराम करने दीजिए और मुझे फिलहाल अकेला ही छोड़ दीजिए।

हम लोग भी उसे अकेले कैसे छोड़ सकते थे मुझे इस बात का बहुत दुख था कि मधु इतने दिनो बाद घर आई और वह उदास है उसके चेहरे का रंग उड़ा हुआ था लेकिन उस वक्त वह कुछ भी बताना नहीं चाहती थी। मेरी मां के हाथ में प्लेट थी उसमें पकोड़े रखे हुए थे और सुधा पीछे से चिल्ला रही थी मैंने उन्हें कहा आप लोग अभी मधु को अकेला छोड़ दीजिए। हम सब लोग बाहर हॉल में आकर बैठ गए कमरे में बहुत सन्नाटा था सिर्फ पंखे की गड़गड़ाहट सुनाई दे रही थी और उस दिन वह पंखा भी बहुत ज्यादा आवाज करने लगा और कूलर भी मानो बहुत धीमा चल रहा था उसकी हवा जैसे हम तक पहुंच ही नहीं रही थी। हम लोगों के चेहरे भी उतर गए सब लोग यही सोच रहे थे कि आखिर मधु के साथ ऐसा क्या हुआ है जो वह घर चली आई लेकिन इसका जवाब सिर्फ मधु के पास ही था। उस दिन सब लोग बिना खाना खाए सो गए अगले दिन मधु से जब इस बारे में पूछा तो मधु ने कहा मैं अब वह घर छोड़ कर आ चुकी हूं, मधु ने जब यह कहा तो पापा को इसका झटका लग और वह वहीं बिस्तर पर लेट गए। मैं दौड़ता हुआ किचन की तरफ गया और वहां फिर से मैंने पानी लिया और अपने पिताजी को पिलाया किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था कि मधु ने अपना घर छोड़ दिया है और वह अपने पति को छोड़ कर आ गई। जब मधु ने उस दिन सारी बात बताई तो हम लोगों को लगा कि मधु ने ठीक किया सब कुछ बहुत जल्दी में हुआ किसी को कुछ समझने का मौका ही नहीं मिल पाया।

हम लोगों ने उसकी शादी बड़े धूमधाम से करवाई उसकी शादी में हमने कोई भी कमी नहीं रखी थी लेकिन उसके पति और उसके ससुराल पक्ष ने उसके साथ बहुत ही गलत किया जिससे कि मैं बहुत गुस्से में था मैं कभी भी उसके पति को माफ नहीं कर सकता था। फिलहाल तो हम लोगों को मधु को ही सहारा देना था हम लोगों ने मधु को समझाया और उसे इस बात का कभी एहसास नहीं होने दिया कि वह अकेली है हम सब लोग उसके साथ खड़े थे। कमल भैया यह बात सुनते ही चेन्नई से आ गए वह बहुत ज्यादा गुस्से में थे लेकिन मैंने उन्हें समझाया और कहा इस समय गुस्सा करने की जरूरत नहीं है मधु को हम सब लोगों की जरूरत है हमें उसका साथ देना चाहिए और हम सब ने वही किया। मधु हम लोगों के साथ ही थी और धीरे-धीरे घर में सब कुछ सामान्य होने लगा था लेकिन पहले जैसे खुशी अभी घर में नहीं थी सब लोग उदास है रहते थे। एक दूसरे से कोई बात ही नहीं किया करता था लेकिन फिर भी मधु के लिए सब लोग खुश होने का नाटक किया करते थे। समय बीतता चला गया और मधु ने भी अपने पैरों में खड़े होने की सोच ली। मैंने भी मधु का साथ दिया और उसकी मदद की उसकी एक सहेली है जो कि एक लड़के से प्यार करती थी लेकिन उसे भी धोखा मिला उसका नाम मीना है। मीना की भी कुछ इच्छाएं थी मीना को मैं मधु के माध्यम से ही मिला था मीना जैसे मुझसे कुछ चाहती थी मैंने भी मीना का पूरा साथ दिया लेकिन मुझे यह डर था कि कहीं वह मधु को ना बता दे परंतु फिर भी मैंने हिम्मत करते हुए एक दिन मीना से पूछ लिया कि उसके दिल में मेरे लिए क्या है?

उस दिन मुझे मालूम पड़ा कि मीना तो मेरे बारे में अपने दिल में काफी कुछ ख्यालात पाल कर बैठी हुई है और धीरे-धीरे हम दोनों की बातें होने लगी। हम दोनों चोरी छुपे मिलने लगे लेकिन हम दोनों को सिर्फ सेक्स ही एक दूसरे से जुड़ सकता था और उस रात में मीना के साथ ही रुका मीना को कोई आपत्ति नहीं थी। मीना ने भी जैसे सोच लिया था कि वह मेरे साथ ही रुकेगी और मुझसे अपने चूत मरवाएगी। मीना का बदन बड़ा लाजवाब था और वह अपने यौवन के चरम पर थी उसके बदन का हर एक हिस्सा उभरा हुआ था। जब उस दिन मैंने उसके कपड़ों को उतारना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी लगता है तुम बड़े जल्दी में हो मैंने उसे कहा नहीं इतनी भी जल्दी नहीं है। मैंने उसके गुलाबी होठों को चूसना शुरू किया तो वह भी उत्तेजित होने लगी और जब मैंने उसकी ब्रा को खोलते हुए उसके स्तनों को अपने हाथों से दबाया और फिर मैंने उन्हें अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई की उसने भी अपनी योनि को सहलाना शुरु किया।

उसकी योनि से पानी बाहर निकलने लगा मैंने जब अपने लंड को उसकी योनि के अंदर प्रवेश करवा दिया तो उसके मुंह से तेज चीख निकली और उसके बाद वह मेरी हो गई मैंने उसे धक्के देने शुरू किए। मैं उसे इतनी तेज गति से धक्के देता उसकी योनि से फच फच की आवाज आने लगती उसने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और मेरा पूरा साथ दिया। मैंने भी उसके पैरों को कंधे पर रखा और उसके साथ जमकर संभोग का आनंद लिया लेकिन शायद हम दोनों के लंड और चूत के घर्षण से गर्माहट बाहर की तरफ निकल रही थी। उसे हम दोनों ही नहीं झेल पाए और मेरा वीर्य पतन हो गया। उसके बाद तो जैसे मीना और मेरे बीच में यह सब आम बात हो गई हम दोनों एक दूसरे के साथ सिर्फ सेक्स को लेकर ही जुड़े थे। सेक्स की इच्छा तो मेरी मीना पूरा कर दिया करती थी लेकिन मधु के जीवन में अब भी दुख था। वह जब भी अपने पति के बारे में सोचती तो वह दुखी हो जाती लेकिन हम सब लोगों ने भी उसका साथ दिया और धीरे-धीरे वह अब ठीक होने लगी थी।

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