धीरे करना मैं सील पैक हूं

   22/06/2019

Antarvasna, hindi sex story:

Dhire karna mai seal pack hoon मैं अपनी दीदी से मिलने के लिए उनके घर पर जाता हूं पापा के कहने पर ही मैं दीदी से मिलने के लिए गया था। मैं जब दीदी से मिलने के लिए गया तो वह मुझे देखकर खुश हो गई और कहने लगी कि अंकुश तुमने मुझे आज बहुत ही अच्छा सरप्राइज दिया है। मैंने दीदी से कहा पापा कह रहे थे कि मैं तुमसे मिलने के लिए चला जाऊं इसलिए मैं तुमसे मिलने के लिए आ गया। मेरा ट्रांसफर भी अब मथुरा में हो चुका था इसलिए मैं दीदी से मिलने के लिए चला गया दीदी कहने लगी अब तो तुम्हारा ट्रांसफर भी मथुरा में ही हो चुका है। मैंने दीदी से कहा हां दीदी ट्रांसफर तो हो चुका है दीदी ने मुझे कहा कि लेकिन तुम मुझसे मिलने के लिए इतने दिनों बाद आये मैंने दीदी से कहा अभी तो मैं कुछ दिनों पहले ही यहां पर आया हूं। दीदी कहने लगी चलो तुमने बहुत अच्छा किया जो आज मुझसे मिलने के लिए आ गये। तभी दीदी का लड़का रक्षित आया वह मुझे कहने लगा मामा जी आप मेरे लिए क्या लेकर आए हो मैंने उसे कहा मैं तुम्हारे लिए क्या लेकर आऊंगा।

वह कहने लगा कि आप कुछ तो मेरे लिए लेकर आए होंगे ना मैंने रक्षित से कहा हां मैं तुम्हारे लिए कुछ लेकर आया हूं वह खुश हो गया। मैंने उसे अपनी जेब से निकालकर चॉकलेट दी और उसके लिए मैं एक खिलौना भी ले आया था वह यह सब देख कर खुश हो गया। वह खिलौना लेकर बाहर अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए चला गया मैं और दीदी साथ में बैठे हुए थे तभी दीदी के ससुर भी आ गये और वह मुझे कहने लगे कि अरे अंकुश बेटा तुम कब आए। मैंने उन्हें कहा कि मैं अभी थोड़ी देर पहले ही आया हूं वह हमारे साथ बैठे मैंने उन्हें कहा आपका स्वास्थ्य कैसा है तो वह कहने लगे कि अब पहले से बेहतर है। मैंने जब उन्हें कहा कि आपका स्वास्थ्य अब ठीक है तो वह कहने लगे कि हां पहले से तो बेहतर है लेकिन यह नहीं कह सकते कि पूरी तरीके से मैं ठीक हूं। मैंने उन्हें कहा कि आप अपना ध्यान दीजिए वह कहने लगे की हां डॉक्टरों से दवाइयां तो चल रही है लेकिन मुझे कुछ ज्यादा फर्क होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। वह मुझे कहने लगे कि अच्छा तो तुम्हारा भी ट्रांसफर मथुरा में ही हो चुका है मैंने उन्हें कहा हां मेरा ट्रांसफर भी अब मथुरा में ही हो चुका है।

वह कुछ देर तक मेरे साथ बैठे रहे और उसके बाद वह चले गए जब वह गए तो दीदी कहने लगी कि ससुर जी की तबीयत अब बिल्कुल भी ठीक नहीं रहती है लेकिन वह अपनी दुकान छोड़ने का नाम ही नहीं लेते। दरअसल वह एक दुकान चलाते हैं उनकी दुकान बहुत ही पुरानी है और काफी सालों से वह यही काम कर रहे हैं लेकिन अब भी उन्हें अपनी दुकान की मोह माया से छुटकारा नहीं मिल पाया है। उनकी उम्र 70 के पार हो चुकी है लेकिन अभी भी वह दुकान पर हर रोज जाया करते हैं दीदी ने मुझे कहा कि अंकुश मैं तुम्हारे लिए खाना बना देती हूं। मैंने दीदी से कहा नहीं दीदी अभी रहने दीजिए मेरा मन नहीं है दीदी कहने लगी थोड़ा सा तो खा लो मैं ज्यादा नहीं बनाऊंगी मैंने दीदी से कहा दीदी लेकिन मेरा सच में मन नहीं हो रहा है। दीदी कहने लगी कि मैं थोड़ा सा तुम्हारे लिए खाना बना देती हूं। वह लोग तो खाना खा चुके थे लेकिन दीदी ने मेरे लिए भी खाना बना ही दिया और मुझे जबरदस्ती खाना खाना पड़ा शाम के वक्त जीजा जी भी आ चुके थे तो वह मुझे कहने लगे कि अंकुश बधाई हो तुम्हारा ट्रांसफर भी अब मथुरा में हो चुका है। मैंने उन्हें कहा अरे जीजा जी अब मैं अपने घर से दूर आ चुका हूं और आप मुझे बधाई दे रहे हैं वह कहने लगे कि चलो कम से कम इस बहाने तुम हमसे तो मिल लिया करोगे। मैंने उन्हें कहा हां क्यों नहीं आपसे मिलने के लिए मैं अब आता ही रहूंगा और आपको अपनी सेवा का अवसर भी देता रहूंगा। जीजा जी और मेरे बीच में बहुत ही हंसी चुटकुले होते रहते हैं जीजा जी भी मस्त मिजाज आदमी है वह कभी भी किसी चीज को ज्यादा सोचते नहीं हैं और ना ही वह ज्यादा टेंशन लेते हैं। मैं उस दिन वहीं रुकने वाला था मैंने दीदी से कहा कि दीदी मैं थोड़ा बाहर टहल आता हूं तो दीदी कहने लगी अंकुश थोड़ा ध्यान से जाना आजकल बाहर माहौल ठीक नहीं है कुछ दिनों पहले ही यही गली में कुछ लड़कों का आपस में झगड़ा हो गया था। मैंने उन्हें कहा कोई बात नहीं दीदी मैं अभी थोड़ी देर बाद आ जाऊंगा आप मेरी चिंता मत कीजिए और मैं वहां से आगे की तरफ निकला।

जब मैं आगे की तरफ निकला तो सामने से एक लड़की आ रही थी उसने अपने मुंह को कपड़े से ढका हुआ था और वह बहुत ही घबराई हुई थी कुछ लड़के उसका पीछा भी कर रहे थे लेकिन जब उन लड़कों ने मुझे देखा तो वह लड़की मेरी तरफ भागी और वह लड़के वहां से जा चुके थे। उस लड़की ने अपने मुंह से कपड़ा उतारा और मुझे उसने धन्यवाद कहा लेकिन उसकी बड़ी झील जैसी आंखें और उसके लंबे बाल देख कर मेरी दिल की धड़कन अचानक से बढ़ने लगी। मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे उस लड़की से मुझे बात करनी चाहिए मैंने उसे कहा कोई बात नहीं। मुझसे ज्यादा बात तो हो नहीं पाई और वह चली गई उसके बाद मैं भी घर लौट आया जब मैं घर लौटा तो दीदी ने मुझे कहा कि अंकुश तुम सो जाओ। मैंने दीदी से कहा दीदी मैं सो जाता हूं वैसे भी कल मुझे अपने ऑफिस जाना है तो दीदी कहने लगी हां अंकुश तुम सो जाओ तुम्हे अपने ऑफिस भी तो जाना होगा। मैंने उन्हें कहा ठीक है दीदी मैं सो जाता हूं और मैं सो गया अगले दिन मैं अपने ऑफिस निकल गया दीदी के घर पर मेरा आना जाना होता रहता था और इसलिए मेरी बात सुनीता से भी हो गई।

सुनीता से अब मेरी बात हो चुकी थी और उससे मुझे बात करना अच्छा भी लगता था क्योंकि मैं मथुरा में ही रहता था इसलिए अक्सर अपनी दीदी के घर में जाता रहता था। जब भी दीदी के घर में जाता तो सुनीता से मेरी मुलाकात हो जाती थी वह भी अब मुझे देखकर पूरी लाइन मर दिया करती थी। मैं भी कैसे मौका छोड़ सकता था मैंने सुनीता को अपने घर पर बुलाया और जब वह मेरे घर पर आ गई तो वह थोड़ा शर्म आ रही थी लेकिन मुझे ज्यादा समय नहीं लगा उसे अपनी बाहों में लाने में वह मेरी बाहों में आ चुकी थी। मेरी बाहों में आते ही उसने मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया और मैंने उसके होठों को अपना बना लिया था। मुझे उसके होठों को चूसने में मजा आ रहा था और उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था काफी देर तक यह सिलसिला चलता रहा लेकिन जब मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो मेरे अंदर और भी ज्यादा गर्मी पैदा होने लगी और मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना सका। मैंने उसे कहा क्या मैं तुम्हारी चूत के मजे ले सकता हूं? वह कहने लगी अब इतना कुछ हो चुका है तो इसमें पूछने की बात ही क्या है मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में ले लिया और उन्हें चूसना शुरू कर दिया। मैं जब उसके स्तनों का रसपान कर रहा था तो मुझे अच्छा लग रहा था मैंने अब अपने लंड को बाहर निकाला तो सुनीता ने उसे अपने गुलाबी होठों में लेकर अंदर बाहर करना शुरू किया। जिस प्रकार से वह मेरे लंड को अपने मुंह मे ले रही थी उससे मेरा लंड बुरी तरह छिलकर बेहाल हो चुका था मेरे लंड से पानी बाहर निकलने लगा। जब सुनीता की योनि के अंदर मैंने अपने लंड को धीरे-धीरे घुसाना शुरु करना शुरू किया तो उसके मुंह से चीख निकल आई और वह कहने लगी थोड़ा आराम से करिएगा यह मेरा पहला ही मौका है।

मैंने उससे कहा क्या बात कर रही हो यह बात सुनती ही मेरी छाती और भी चोडी हो गई मैंने उसे कहा कि हां मै धीरे-धीरे ही करूंगा। मैंने अपने लंड पर थूक लगा लिया और उसकी चूत पर भी थोड़ा सा थूक लगा लिया जिससे कि उसकी चूत और भी ज्यादा चिकनी हो जाए। जैसे ही मैंने अपने लंड को अंदर की तरफ डाला तो वह मुझे कहने लगी थोड़ा आराम से करिएगा। मेरा लंड अंदर जा चुका था और उसके मुंह से तेज चीख निकल आई उसके मुंह से इतनी तेजी से चीख निकली मैंने उसे तेज गति से धक्के मारे। जिस गति से मैं उसे धक्के मार रहा था उसे वह बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पा रही थी और मुझे कहने लगी कि मैं ज्यादा देर तक झेल नहीं पाऊंगी। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं लेकिन मेरे अंदर अब भी पूरी ताकत बची हुई है सुनीता की योनि से खून लगातार बाहर की तरफ निकल रहा था। खून इतना ज्यादा बहने लगा की मैंने उसके पैरों को अपने कंधे पर रख लिया और अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा लेकिन उसकी योनि की गर्मी के आगे मैं बेबस था।

मेरे लंड से पानी बाहर की तरफ निकालने लगा जब मेरा वीर्य पतन हो गया तो मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को दोबारा से चूसो। उसने मेरे लंड को साफ किया और अपने मुंह मे लेकर दोबारा से चूसना शुरू कर दिया। जिस प्रकार से वह लंड को चूस रही थी उसने दोबारा से मेरे लंड को खड़ा कर दिया था। मैंने उसको घोडी बना दिया और उसकी चूत में धीरे से अपने लंड को घुसा दिया मेरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया तो वह चिल्ला उठी और उसके मुंह से तेज चीख निकल पड़ी। उसके मुंह से इतनी तेज चीख निकली और मुझे कहने लगी मुझे बड़ा दर्द हो रहा है मैंने उसे कहा कोई बात नहीं तुम्हें दर्द तो थोड़ी देर पहले भी हो रहा था लेकिन अब मजा आएगा। मैंने अपनी गति को तेज कर लिया और जिस प्रकार से मैंने उसकी चूत मारी उससे तो वह बेहाल हो चुकी थी और अब मैं भी अपने वीर्य को गिराने की तैयारी में था। कुछ ही देर बाद मैंने वीर्य को दोबारा से उसकी योनि में गिरा दिया। हम दोनों बैठ कर बात करने लगे वह मुझे कहने लगी आप मुझे घर छोड़ दीजिए।

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